आज न जाने कयों ख्वाबो में भी आंखे नम हो गयी!
बीते दिनों को याद कर आज दादी फिर भीगी पलकों के साथ सो गयी!
अक्सर पोती अपने दादा की "खुशी" बन जाती है!
खिड़की के पास रखीं कुर्सी हमेशा "आपकी मौजूदगी" बताती हैं॔! ...
अब भी आंखे बंद कर सारी बातें आपको बताती हूँ!
एक खास तारे को देख कर "सादगी" से मुसकुराती हूँ!
चांद की रोशनी आपकी हर कहानियाँ फिर सुनाती है!
खिड़की के पास रखीं कुर्सी हमेशा "आपकी मौजूदगी" बताती हैं॔! ....
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