Khushboo Saxena   (SAXENAWRITES)
2.5k Followers · 4 Following

read more
Joined 10 May 2019


read more
Joined 10 May 2019
15 FEB 2022 AT 22:11

लोग तो फिर एक दफा...
नई मोहब्बत की राह पर चलने को तैयार खड़े हैं।
और एक हम हैं...
जो अब तलक पुरानी यादों में उलझे पड़े हैं।

-


14 FEB 2022 AT 20:59

हैसियत देखकर इश्क किया जाता तो बेहतर था
ये बड़े लोग इतराते बहुत हैं।

-


13 FEB 2022 AT 10:08

उलझनें इस ज़िंदगी में कुछ कम तो कीजिए...
या खुदा थोड़ा ही सही मगर रहम तो कीजिए।
कमी किस चीज़ की है मैं मालूम क्यूं नहीं कर पा रहा
गुस्ताख से गुस्ताखी क्या हुई ये इत्तला तो कीजिए।
बिन अश्कों के रोता थक गया हूं मैं...
रो सकूं जी भरकर जिसके सामने एक शख्स तो दीजिए।
या खुदा थोड़ा ही सही मगर रहम तो कीजिए।

-


12 FEB 2022 AT 15:57

खामोश महज़ इसलिये नहीं हूं के मुझे खामोशी पसंद है
मगर इस दफा मुझसे मेरे जज़्बात पूछे ही नहीं गए।

-


11 FEB 2022 AT 23:29

बेशक़ टूटा हूं आज...
लेकिन एक दिन निखरूंगा जरूर।

-


10 FEB 2022 AT 23:07

उम्मीदें अक्सर इंसान को कहीं का नहीं छोड़ती।
ख़ैर ज़िंदगी नाउम्मीदी में भी नहीं बितायी जा सकती।

-


9 FEB 2022 AT 16:48

गलतियां गिनाने में मैं यकीन नहीं रखता
मगर इससे तुम बेकसूर नहीं हो जाओगे।

-


8 FEB 2022 AT 17:08

हर दफा अपने दर्द को अल्फाज़ो में बयान कर देता हूं
मगर इस दफा मैं अपनी तकलीफ़ पन्नो पर नहीं लिखूंगा।
ये तकलीफ़ मेरे दिल में यूंही कायम रहनी चाहिए
कम से कम इतने दर्द में फिर मोहब्बत तो नहीं करूंगा।

-


6 FEB 2022 AT 17:01

हां कुछ अनगिनत कविताएं लिखी होगी तुम पर
मगर तुम्हें भेजता नहीं हूं।
जाना चाहत तो आज भी बेहिसाब है तुम्हारी
हां मगर कहता नहीं हूं।

-


23 NOV 2021 AT 16:49

सुकून के कुछ लम्हें मैं समेटना चाहता हूं...
गर बुरा ना मानो तो फिर एक दफा मैं तुम्हें देखना चाहता हूं।

-


Fetching Khushboo Saxena Quotes