फ़िज़ाओं में सदियों तलकउस जननी काजो गंवा देती है अपने लाल कोमातृभूमि की रक्षा करते हुएउस पत्नि काजिसका उजड़ जाता हैसिंदूर माँग कापति की शहादत सेउस संतान काजो हो जाती है अनाथअपने पिता के चले जाने सेसरकारें सिर्फ दे सकती हैंमुआवज़ा उन्हेंउनके अपनों कीजान के बदलेअधिकारी दे सकता हैकेवल एक तमगाउसकी वीरता कोबखानते हुए©के मीनू तोष (११ मई २०२०) -
फ़िज़ाओं में सदियों तलकउस जननी काजो गंवा देती है अपने लाल कोमातृभूमि की रक्षा करते हुएउस पत्नि काजिसका उजड़ जाता हैसिंदूर माँग कापति की शहादत सेउस संतान काजो हो जाती है अनाथअपने पिता के चले जाने सेसरकारें सिर्फ दे सकती हैंमुआवज़ा उन्हेंउनके अपनों कीजान के बदलेअधिकारी दे सकता हैकेवल एक तमगाउसकी वीरता कोबखानते हुए©के मीनू तोष (११ मई २०२०)
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मुझे आस थीमृत्यु के उपरांत भीजीवित रहूँगी मैंतुम्हारे हृदय मेंतुम्हारी भावनाओं मेंतुम्हारे अंतस मेंतुम्हारे प्रेम मेंतुम्हारे समर्पण मेंतुम्हारी निष्ठा मेंमगर मैं गलत थीभ्रम था मुझे किस्नेह करते हो तुम मुझेऔर मर गई मैंमृत्यु से पहले हीये सत्य कटु जानकर©के मीनू तोष (२९ मार्च २०२०) -
मुझे आस थीमृत्यु के उपरांत भीजीवित रहूँगी मैंतुम्हारे हृदय मेंतुम्हारी भावनाओं मेंतुम्हारे अंतस मेंतुम्हारे प्रेम मेंतुम्हारे समर्पण मेंतुम्हारी निष्ठा मेंमगर मैं गलत थीभ्रम था मुझे किस्नेह करते हो तुम मुझेऔर मर गई मैंमृत्यु से पहले हीये सत्य कटु जानकर©के मीनू तोष (२९ मार्च २०२०)
ईश्वर का आलिंगन है कविताभावों का अभिनंदन है कविताअंतरात्मा का मार्जन है कविताशब्दों का प्रकटीकरण है कवितारसानुभुति का आनंद है कविताकवि का प्राण है कवितालेखनी का सम्मान है कविता©के मीनू तोष (२१ मार्च २०२०) -
ईश्वर का आलिंगन है कविताभावों का अभिनंदन है कविताअंतरात्मा का मार्जन है कविताशब्दों का प्रकटीकरण है कवितारसानुभुति का आनंद है कविताकवि का प्राण है कवितालेखनी का सम्मान है कविता©के मीनू तोष (२१ मार्च २०२०)
जब नाम अपने वतन काजाने क्यूँ जमाना जल उठा -
जब नाम अपने वतन काजाने क्यूँ जमाना जल उठा
तुम मुहूर्त पर मुहुर्त निकाल रहें होजैसे महान कोई पर्व मना रहें होविकल्प तलाश रहें बचाने के उनकोक्या दोषियों संग बेटी ब्याह रहें हो©के मीनू तोष (५ मार्च २०२०) -
तुम मुहूर्त पर मुहुर्त निकाल रहें होजैसे महान कोई पर्व मना रहें होविकल्प तलाश रहें बचाने के उनकोक्या दोषियों संग बेटी ब्याह रहें हो©के मीनू तोष (५ मार्च २०२०)
बगिया महकेगीये सोच के इतरा रहे थे हम बहुतआग गुलशन में माली ने खुद लगाईदेख यही पछता रहें हैं हम बहुत -
बगिया महकेगीये सोच के इतरा रहे थे हम बहुतआग गुलशन में माली ने खुद लगाईदेख यही पछता रहें हैं हम बहुत
फ़िर क्यूँ जलाई गईतुम्हारे किस मंसूबे खातिरमुझे आग लगाई गईपूछती हूँ सबसे यही एक सवालकिस बात पर किया ये बवालकोई और नहीं मैं दिल्ली हूँ©के मीनू तोष (२९ फरवरी २०२०) -
फ़िर क्यूँ जलाई गईतुम्हारे किस मंसूबे खातिरमुझे आग लगाई गईपूछती हूँ सबसे यही एक सवालकिस बात पर किया ये बवालकोई और नहीं मैं दिल्ली हूँ©के मीनू तोष (२९ फरवरी २०२०)
क़लम किसी की गुलाम नहीं होतीजो गुलाम होती है वो क़लम नहीं होती©के मीनू तोष (२८ फ़रवरी २०२०) -
क़लम किसी की गुलाम नहीं होतीजो गुलाम होती है वो क़लम नहीं होती©के मीनू तोष (२८ फ़रवरी २०२०)
दूसरों को मौत बाँटने वाले अपनी मौत का फरमान सुनते ही बिलों में जा छुपे हैं ।कसम से बड़े कायर निकले ॥©के मीनू तोष (२६ फरवरी २०२०) -
दूसरों को मौत बाँटने वाले अपनी मौत का फरमान सुनते ही बिलों में जा छुपे हैं ।कसम से बड़े कायर निकले ॥©के मीनू तोष (२६ फरवरी २०२०)