अंग्रेजी से घृणा होती है मुझे! दिल बेचैन हो जाता है ये सोचकर कि अंग्रेजी के आगे मेरी मातृभाषा हार ना जाये!
सब मित्रों से अनुरोध है कि मातृभाषा को व्यवहार मे लाये ताकि हम मातृभाषा को मरनेे से बचा सके!
देव भाषा संस्कृत का तो लोप हो ही चुका है!
डर लगता है कि मनुष्य भाषा हिंदी का भी
अंग्रेजी के आगे लोप न हो जाये!
गुड मोर्निंग, गुड इवनींग, गुड नाइट नही बल्कि
सुप्रभात, शुभ संध्या, शुभ रात्रि, नमस्कार
नमस्ते कहने की आदत डालनी होगी !!
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