Karan Sharma   (नज़्म ए काफ़िर :-करन शर्मा)
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Activist
Joined 23 June 2020


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5 AUG 2022 AT 21:09

उस दौर में
ज़ब मुझे तेरी सबसे ज़्यादा जरूरत थीं

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4 AUG 2022 AT 17:03

प्यार दिलों का खेल नहीं
ये मिलन होता हैं आत्माओं का

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3 AUG 2022 AT 17:41

प्रेम गीत
तो भी शायद प्रेम
कभी पूरा ना हो सकें

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8 MAY 2021 AT 12:01

साँसे...

(पूरी नज़्म अनुशीर्षक मे...)

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8 MAY 2021 AT 9:33

एक नींद आँखों से टूट कर
कहीं गिर पड़ी थीं

ख़्वाबों का सहारा देकर
मैंने फिर उसे उठाया ||

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7 MAY 2021 AT 13:09

ज़रा वक़्त से डर तू जमाने

दो गज़ ज़मी भी नहीँ मिली थीं

बादशाह ए हिंद (ज़फर) को हिंदुस्तान मे ||

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6 MAY 2021 AT 10:09

ख़्वाबों के शहर मे
यादो क़ी कमी ना हो जाये

चलो एक और इबारत
प्यार क़ी हम लिखते है ||

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4 MAY 2021 AT 11:34

अब वो दूर है इतना क़ी उनकी याद भी नहीं आती है

हिचकियो को भी झूठी तसल्ली देकर अब बुलाना पड़ता है

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4 MAY 2021 AT 10:33

मेरा इश्क़....




पूरी नज़्म अनुशीर्षक मे...

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3 MAY 2021 AT 10:15

एक ख़्वाब देख
तेरे सिरहाने के पास पड़ा है

रात हो गई है
ज़रा उसे अपनी आँखों मे जगह दे दो ||

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