तेरी पहचान बनाएँ, कागज पर भाव की, तंरगें लहराएँ, किसी की मन की, व्यथा सुनाएँ, जिसे पडकर कोईं गुनगुनाएँ, अपनी कल्पना को सोच से परें, आसमां के पार लेजाएँ, तूं वो लिख, जो कलेजां चीर जाएँ, किसी के लिए मरहम बन जाएँ ।।
गिरकर उठना, उठकर फिर, सभलना पडेगां, ये जिंदगीं हैं साहब, हर हाल में, डलना पडेगा, रास्तें कैसे भी हों, ये सफर तय करना ही होगा, जब आएँगा वक्त, रूकसती का, न चाहते हुए, जाना पडेगां ।।