ताना बाना बुन रही ये हसरतें ,शिकायते हजार सुन रहीं ये हसरतें, फक्त इतना है के मुस्कुरा देता,मुझे खुद में समेट रही ये हसरतें,शिकवा करे भी तो बेचैनी मुक्कमल हो जाए,सब्र में सुकून की तलाश कर रही ये हसरतें,हर रोज बनता कुछ हर रोज टूट जाता इस दिल के मकान में,जाने अब रूह में बिखर रही ये हसरतें,सफर ए जिंदगी कुछ इस तरह कट रहा है,हर दिन एक सितम कर रही ये हसरतें.... ताना बाना बुन रही ये हसरतें....
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