Kajal Jha   (Kajal jha)
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Instagram :- _the_unwanted_poet_
Joined 12 April 2019


Instagram :- _the_unwanted_poet_
Joined 12 April 2019
8 AUG 2023 AT 18:03

The name flashed on my screen
But
This time my heart didn't skip a beat
This time I didn't have butterflies in my stomach
This time my heart wasn't pounding
This time I didn't take a deep breath
This time I didn't say "ugh, the wait is finally over"
This time I didn't smile while answering
And
This time it was like any other call I pick half- heartedly
This time the silence was exhausting
This time I behaved selfishly
This time I knew I've successfully ruined this
Again!

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6 APR 2022 AT 22:54

कितने अंधेरों को उसने चीरा होगा
इस उम्मीद में
कि एक दिन सवेरा होगा
कुछ छांव पाने के लिए
वह मीलों धूप में चला होगा
किंतु
आज वह तथाकथित एक "असफल व्यक्ति" है
अब
समाज दुत्कारेगा,
दोस्त, परिवार फटकारेगा।
किंतु
एक यकीन अब भी भीतर दबा है
क्या कोई उसे झंझोर कर,
उस यकीन को जगाएगा?

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23 OCT 2021 AT 0:11

हम तेरे शहर घुम आए
गली- गली, चप्पा- चप्पा देख आए
देख आए वो खुबसूरती,
जिस पर तु इतना इतराए
तुझसे मिलने की ख्वाइश लिए
हम अपने शहर से मीलों दूर चले आए।
इस शहर ने तो अपनाया नहीं,
पता नहीं,
अब हमारा शहर भी हमे अपनाए ना अपनाए?

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22 JUL 2021 AT 0:01

सबसे अपना ग़म
बख़ूबी छुपा रहे हो,
बाहर तो चुप हो,
ज़हन में चिल्ला रहे हो,
कमाल है ना,
हो कुछ
पर कुछ और ही नज़र आ रहे हो।

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2 MAY 2021 AT 10:48

किसी का शरीर मर रहा है,
किसी का ज़मीर।

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15 MAR 2021 AT 23:06

गर फ़ुर्सत में देखते मुझे तो,
सूरत नहीं सीरत देखते।

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27 DEC 2020 AT 22:55

गर कीमत है उसकी मेरा आत्मसम्मान,
तो ये व्यापार महंगा है
सुन,
तेरा प्यार महंगा है।

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20 OCT 2020 AT 21:14

ये इश्क़ इतना बे-दर्द क्यों हुआ,
मेरा सुकून, उनका मर्ज़ क्यों हुआ
जो कहते थे तुम गरज़ हो मेरे,
वो इंसान इतना खुदगर्ज़ क्यों हुआ।

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14 OCT 2020 AT 22:02

प्यार, इश्क़, मोहब्बत जैसे
अल्फाज़ो में विश्वास रखते हो?
उफ़्फ़,
कितने मासूम हो
एक ग़ैर से आस रखते हो।

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23 JUL 2020 AT 22:11

सबको संभालते-संभालते
खुद कितनी ही दफ़ा बिखरा हूँ।
जबरन थामे हुए,
रिश्तों के सिरे,
कई बार खुद पर बिगड़ा हूँ।
क्यों नही जाने देता उन्हें,
जो जाना चाहते है,
क्यों उन्हें खुद से जोड़े रखने की
ज़िद्द पर अड़ा हूँ।
ये कैसा मोह है मुझे,
मेरे "अपनों" से की
पीकर अपमान का घूँट हर बार
फिर,
उनके सामने अपमानित होने के लिए खड़ा हूँ।

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