कौन नही मजदूर यहां पर,जरा सोच कर देखिए बेगार में जिंदगी बीत गई,गौर कर लीजिए क्या पगार की बात करते हो,हमने जिदंगी बेची है सांस फूंकते मजदूर हैं,मेहनत की बात करते हैं कोई मिट्टी झेलता है,कोई कीबोर्ड से खेलता है मजदूर हम सब हैं,अपना नसीब लिए जूझते हैं कोई गुजर जाता तो,कोई गुजारता है जिंदगी।
उसकी चाहत के लिए,तरसते से रह गए जिंदगी कर उसके नाम,बेनाम से रह गए सिर्फ इंतजार कभी इस शाम,कभी उस धाम एक निगाह न देखा तूने,सब को सराहा तूने एक नजर इधर करते,अंजाम में जीते या मरते किसी की नफरत,बन जाती है किसी की किस्मत चाहतें इंसान बना सकती हैं,जिंदगी दिला सकती हैं जिदंगी जीना आ जाता, गर कुछ वक्त तुम्हारा होता।
जहां से चले थे वहीं,आ गए हैं लगता है हम थोड़ा,बौरा गए हैं तुम समझ सको,तो बताना मेरे दिल को,थोड़ा समझाना हम कुछ फासला,तय करने चले थे दुनिया है गोल ये, जानने चले थे सबक पाकर हम,चले आए हैं तुम्हे बताएं की हम,क्या पाए हैं सिफर है सब कुछ,कोई हासिल नहीं मिट जाना है सब कुछ,कोई मंजिल नहीं।
मेरी समझ से,ये दुनिया विचित्र है ईमान से चलने वाला,बेचैन चरित्र है सीधे ,सरल को हमेशा हिदायत हैं चतुर बेशर्मी से बाज आते कहां हैं ईमानदार भुगतान करते रह जाते और बेईमान पनपते बढ़ते जाते शायद एकतरफा हो, ये नजरिया पर मेरी निगाह ऐसी दिखाए दुनिया।
सादगी भरा जीवन,ही शायद अच्छा होता है लोग ख्वाब की लिस्ट लिए,जीवन गुजार देते हैं जीवन की दौड़ में,खोया पाया हिसाब करते हैं हम जो मिल गया,उसी में सुकून इजहार करते हैं।
एक तरफ तो तुम कहते हो मुझसे कोई वास्ता नहीं, मेरी तरफ देखते क्यूं हो, जब कोई राब्ता नही जिंदगी में सब यूं ही नही होता रब का लिखा है होता कुछ लोग कभी नहीं मिलते और कुछ मिलते,अपने हो जाते।
#कुछ_काम_अधूरे_हैं कुछ काम अधूरे हैं,कुछ सपने बाकी हैं इस जन्म का क्या कहो,शायद दूसरे में पूरे हो कुछ रह गया सा है,जीवन नीरस सा है गर दिल की सुनते,कुछ बड़ा बनते दूसरों की सुनते रहे, रास्ते,बदलते गए दिशाएं बुलाती रहीं,हम भटकते,रास्ते पूछते रहे आज लगता है काश,रुके होते,अंजाम और होता रूतबा,जज्बा,हौसला होता,समझौते न होते मंजिल अपनी होती,मुक्कमल कहानी होती। #नई_स्याही