Jyotir May   (ज्योतिर्मय)
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Joined 14 January 2017


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3 MAY AT 22:03

अंदर की रौशनी,अंधेरे की है साथी
जिंदगी है दिया और हौसला है बाती
हौसले बनाए रखना,जीतोगे तुम बाजी
फिक्र न करना,चलते जाना,मन को रखना राजी

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1 MAY AT 19:57

कौन नही मजदूर यहां पर,जरा सोच कर देखिए
बेगार में जिंदगी बीत गई,गौर कर लीजिए
क्या पगार की बात करते हो,हमने जिदंगी बेची है
सांस फूंकते मजदूर हैं,मेहनत की बात करते हैं
कोई मिट्टी झेलता है,कोई कीबोर्ड से खेलता है
मजदूर हम सब हैं,अपना नसीब लिए जूझते हैं
कोई गुजर जाता तो,कोई गुजारता है जिंदगी।

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1 MAY AT 19:42

उसकी चाहत के लिए,तरसते से रह गए
जिंदगी कर उसके नाम,बेनाम से रह गए
सिर्फ इंतजार कभी इस शाम,कभी उस धाम
एक निगाह न देखा तूने,सब को सराहा तूने
एक नजर इधर करते,अंजाम में जीते या मरते
किसी की नफरत,बन जाती है किसी की किस्मत
चाहतें इंसान बना सकती हैं,जिंदगी दिला सकती हैं
जिदंगी जीना आ जाता, गर कुछ वक्त तुम्हारा होता।

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30 APR AT 0:06

जहां से चले थे वहीं,आ गए हैं
लगता है हम थोड़ा,बौरा गए हैं
तुम समझ सको,तो बताना
मेरे दिल को,थोड़ा समझाना
हम कुछ फासला,तय करने चले थे
दुनिया है गोल ये, जानने चले थे
सबक पाकर हम,चले आए हैं
तुम्हे बताएं की हम,क्या पाए हैं
सिफर है सब कुछ,कोई हासिल नहीं
मिट जाना है सब कुछ,कोई मंजिल नहीं।

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29 APR AT 23:53

अंधेरे महकने लगे,जुगनू चमकने लगे
तुम आए,ये उपवन,निर्झर चहकने लगे
रातें गुनगुनाने लगी,मलय पवन बौराने लगी
सूने जीवन की गलियां,प्रेम कथा सुनाने लगीं।

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21 APR AT 15:18

मेरी समझ से,ये दुनिया विचित्र है
ईमान से चलने वाला,बेचैन चरित्र है
सीधे ,सरल को हमेशा हिदायत हैं
चतुर बेशर्मी से बाज आते कहां हैं
ईमानदार भुगतान करते रह जाते
और बेईमान पनपते बढ़ते जाते
शायद एकतरफा हो, ये नजरिया
पर मेरी निगाह ऐसी दिखाए दुनिया।

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21 APR AT 14:37

सादगी भरा जीवन,ही शायद अच्छा होता है
लोग ख्वाब की लिस्ट लिए,जीवन गुजार देते हैं
जीवन की दौड़ में,खोया पाया हिसाब करते हैं
हम जो मिल गया,उसी में सुकून इजहार करते हैं।

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20 APR AT 22:07

एक तरफ तो तुम कहते हो
मुझसे कोई वास्ता नहीं,
मेरी तरफ देखते क्यूं हो,
जब कोई राब्ता नही
जिंदगी में सब यूं ही नही होता
रब का लिखा है होता
कुछ लोग कभी नहीं मिलते
और कुछ मिलते,अपने हो जाते।

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20 APR AT 21:57

#कुछ_काम_अधूरे_हैं
कुछ काम अधूरे हैं,कुछ सपने बाकी हैं
इस जन्म का क्या कहो,शायद दूसरे में पूरे हो
कुछ रह गया सा है,जीवन नीरस सा है
गर दिल की सुनते,कुछ बड़ा बनते
दूसरों की सुनते रहे, रास्ते,बदलते गए
दिशाएं बुलाती रहीं,हम भटकते,रास्ते पूछते रहे
आज लगता है काश,रुके होते,अंजाम और होता
रूतबा,जज्बा,हौसला होता,समझौते न होते
मंजिल अपनी होती,मुक्कमल कहानी होती।
#नई_स्याही

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20 APR AT 18:46

यही बुराई है मुझमें,की भूल जाता हूं फिकर
बुरा वक्त, सपना सब,समय का चक्कर
अच्छा करना नियत,मिलेगा ही मुक्कदर
क्या करना हिसाब,बस इंसान होने का फखर।

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