बुंद बुंद लहू की मांग की थी जब तडपते उस तिरंगे ने ... धर्म जात से बढकर आगे दी कुरबानी कई परिंदों ने ।
कई शहीदों ने अपनी जिंदगी में ज़हर पीकर हमें आज़ादी का अमृत पिलाया हैं . . आईये उन सभी शहिदों को हम याद कर आज आज़ादी का अमृत महोत्सव मनाएँ । जय हिन्द ...
पेहली बारिश में आसमान में उभरता ये रंग तेरे ईश्क में भिगोता पेहली बारिश का ये रंग मदहोश हुई हवाएं लगाकर बारिश का ये रंग दो बूंद क्या गिरे हम पर ?! हो गए हम मलंग