Jayprakash Ahirwar   (Jayprakash ahirwar jp)
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Writer ✍️ studying in dr harisingh gour University Sagar 📚📚
Joined 20 January 2021


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18 AUG 2023 AT 15:46

होता सही पहले ही मै मर जाता अगर।
किसी के वास्ते जीना था मुझको सो मगर ।।

अब जगत को छोड़ने का मन है कर रहा।
लगने लगा है मै स्वयं का ही अब ना रहा ।।

जो भी मिली है ज़िंदगी जी कर करुंगा और क्या।
जी भी लूंगा तो भी मन ही मन मरूंगा और क्या।।

क्या अब बचूंगा या मिलूंगा धूल में।
लग रहा है अब मै चढ़ूंगा सूल में।।

यदि जियूंगा भी जैसे भी कैसे भी मै मगर।
तुम्हारे मुस्कुराने की दुआएं मांगता रहूंगा हर जगह....

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16 NOV 2022 AT 21:01

समय की ओट में
कभी किसी भी चीज की
पर्याप्तता में ना फस जाना
सदा उत्सुक और जिज्ञासु रहना
जीवन के हर उस मोड़ पर
जहां लगे कि जितना था सीख लिया
क्यों कि जितना हमने सीखा होता है
वह कभी पर्याप्त नहीं होता.......

अब सीखना जो जितना सीख सको
क्षितिज से सीखना मिलन को
सीखना ग्लोब से जिसमें
संपूर्ण विश्व को देखते हो तुम
और सीखना नदियों से गति लेना

पर्वत से ऊंचा होना
मैदान से समतल होना
और जमीं पर रहना सीखना
इस भागती दौड़ती दुनिया को देखना
सीखना कुछ सुकूं के पल बिताना
और तुम कभी जिज्ञासा ना छोड़ना
कुछ सीखने या पाने की...........

(जे. पी.)

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11 NOV 2022 AT 0:32

"जिंदगी"

सम्हलकर रास्तों पर इस क़दर चलना
शाम को सूरज की तरह ढलना
फिर कहीं भोर में निकलना
अगर हो जाओ कभी विफल
तब नए साल की तरह चलना


मुश्किलें हजार आती हैं सबकी ज़िंदगी में
मगर तुम हमेशा मुस्कुराकर
सफर के गीत को गुनगुनाकर
सपनों की खातिर राह पर
बाधाओं को तुम पार कर

यही ज़िंदगी भर काम करना ।
जिंदगी में जीत को तुम लब्ध करना....
ज़िंदगी में जीत को तुम लब्ध करना........

~ जे. पी.

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1 AUG 2022 AT 19:55

मेहनत करते हैं लोग बिफल होकर भी जीते हैं।
संघर्ष ही संघर्ष करते रहकर भी लोग जीते हैं।।

मैदान में उतरने से पहले जीतेंगे वायदा करो।
मरने के बाद विचारों में भी लोग जीते हैं।।

जीवित रहो स्वयं के सद्गुण की महक फैलने तक।
यूं क्षण क्षण मर कर भी लोग जीते हैं।।


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18 JUL 2022 AT 10:43

~सफ़र -ए- जिन्दगी~

सफर - ए - जिन्दगी मुस्कुराओ।
हिम्मत - ए - हुनर आजमाओ।।

सादा जीवन सरल व्यक्तिव लिए।
हर सफर को गुनगुनाओ।।

मुस्किल भरी अंधेरी रात में।
दृढ़ हो चल अपने आप में।।

सफर में मिलना सबसे तुम।
आने वाले कल की आस में।।

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10 JUL 2022 AT 10:36

किसी के कल का किस्सा क्यों बने?
किसी के सफर का हिस्सा क्यों बने?

कहीं कह ना दे तुम क्यों पास हो मेरे!
क्या मैने कहा आओ साथ मेरे!!

जाओ जहां,जिस जगह जाना है तुम्हे!
क्यों परवाह,फिक्र क्या मतलब है हमसे तुम्हे!!


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29 JUN 2022 AT 0:21


ए -जिंदगी मुझे आजमा,
हर कदम हर डगर पर
इंतेहान ले।

कहीं गिराकर कही उठाकर
कुछ ना कुछ सिखाती जा
आज से बेहतर,कल कुछ ना कुछ
ऐसा जो भूल जाने योग्य ना हो
अनुभवी सार लिए
जिंदा दिली के साथ
निराशा हताशा को किए खाक

ए -जिंदगी मुझे आजमा,
हर कदम हर डगर पर
इंतेहान ले।

जैसे घने भयंकर वनों,
रेगिस्तानी आंधी से
बिना संघर्ष निकल ना पाया कोई
जहां बिना संघर्ष पूर्णता अंत हो
वहां केवल संघर्षशील ताप हो
फिर कहीं कामयाबी से मिलाप हो


ए -जिंदगी मुझे आजमा,
हर कदम हर डगर पर
इंतेहान ले।

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14 JUN 2022 AT 1:03

समय ने देखा सबको है जीवन और मृत्यु दोनो को।
जीवन में सबको हंसने और मृत्यु में सबको रोने को।।


हर दिन को देखा ऐसे जैसे जीवन को अच्छे से जाना।
कल जो बीत गया अब आने वाले कल को हंसकर है पाना।।

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10 JUN 2022 AT 13:45

मित्रता जो शुद्ध है स्नेह का स्वरूप है।
ना कोई शर्त ना कोई मांग,
आनंद का वह रूप है।।
हर समय हर पथ पर चलती रहे जब साथ में।
अमावश को चांदनी कर दे,
जब रहे वह साथ में।।

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28 DEC 2021 AT 10:59

~सफल राह~

बुझे दीप जला के चल जीवन को अपने मोड़कर।
जलेगा दीप आज अदीप्त ज्योति को छोड़कर ।।

कितनी भी तूफानी लहरे हों अम्बर के भी पहरे हों।
सागर के माँझी बन के चल लक्ष्य को अपने दागकर।।

आराम कैसा राह में स्वयं के हाथों पतवार में।
गिर के उठना सीख लो अपने प्रण के द्वार पर।।

भय-भ्रम से लड़ तेज ना सही धीरे ही चल।
इतिहास को पलट के चल प्रयत्न से जा पार कर।।

किस्मत भी तो आएगी रंग हरा ही तो लाएगी।
प्रवेश मिल ही जाएगा सफलता के ही द्वार पर...२


~जयप्रकाश अहिरवार
(जे. पी.)

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