A journey from seed to tree
(माँ- एक एहसास)
था मै नन्हा एक बीज माँ,
तब से सींचती आ रही तू।
भूख, प्यास हर लम्हा अपनी,
सब खुशियां मुझ पर बारती तू।
जब कुछ बड़ा हुआ ये बीज तो,
इसको पौध बनाती तू।
रोपण करके इस पौध पर,
अपनी छाप लगाती तू।
अपनी मृदा की खुश्बू देकर,
मुझको खुशहाल बनाती तू।
खुद दिनभर मेरी खातिर में,
अपना समय लगाती तू ।।
मेरे जीवन की खातिर,
अपना संपूर्ण आज लगाती तू।
जब पहली कोपल निकले पौध में तो,
मेरी नजर उतारती तू।
मेरे हर लम्हो को माँ,
आज संजोये जाती तू।
जब तनिक बड़ा हुआ ये पौध तो,
जीवन जीना सिखलाती तू।
हर संभव कोशिश करके ,
मेरे मार्गदर्शन में लग जाती तू।
गलत सही का भेद बताकर,
न्याय करना बतलाती तू।
शिक्षक बनकर मेरे जीवन मे,
ज्ञान ज्योति लौ जगाती तू।
मेरी खातिर तूने जीवन मे है बड़े त्याग किए,
एक बीज को पेड़ बनाकर तूने है नए प्राण दिए।
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