"साँसे लेना, भोजन करना, घूमने जाना, मौज मारना जीवन नही।
इससे भिन्न जो करने के प्रयत्न करोगें वह जीवन है।तुम्हारें इस धरती पर आने से किसे सुख मिल रहा!यदि नही मिल रहा तो जानों उस वजह को।लोग तुमसें बात करके क्या अच्छा महसूस करते है या चिंता का बोझ बढ़ता महसूस करते है।तुम शिकायतों की दुकान हो या निपटारे का समाधान!"
"सारे रिश्तें छोड़ो अकेले होकर अपने कर्म पर भरोसा करों।काम पर ध्यान दो।कुछ दान पुण्य करों।मंदिर जाओं भगवान से मन की कहों।उसके बाद फिर अपने कर्म प्रधान जीवन में लग जाओं।
क्या होगा कैसे होगा वह सब ईश्वर की लीला है।आप ये समझ जाइये जो काम पहले 1-2 बार में बन जाते थे अब उसे 50 बार करने पर होंगे।खुद को 50 बार की मेहनत के लिए तैयार रखों।शारिरिक और मानसिक स्वास्थ्य पर भी ध्यान दो।जिसका मन और शरीर स्वस्थ वह हर बाधा को पार पा सकता है।"
कल परसों या 2 महीनें बाद क्या होगा या आप की क्या योजना है कोई काम नही करने वाली।यदि आपनें आज ध्यान नही दिया आपकीं बाकी योजना धरी की धरी रह जायेगी।और आप कहेंगे मैंने ये सोचकर रखा था वो करना था।सपनों से निकलों हकीकत को देखों।"
"सच्चों को एक ढाल की तरह इस्तेमाल किया जाता है।ईश्वर भी ऐसा खेल रचते है कि तुम उन जैसों से दूर कर दिए जाओगें भ्रमित विचार फैलाकर हालात बदलकर फिर देखों उन्हें कोई बचा नही पायेगा।आप को लगता है बुरा आपके साथ हुआ,नही!"