गम तो इतना तेरे जाने का भी नहीं हुआ मुझ पर, जितना कि तेरे झूठे इल्जाम का। जी तो मैं पहले भी रही थी पर, अब तो मैं जीते जी ही मर रही हूं। पहले तो सिर्फ सुना करती थी कि, इंसान प्यार में किसी भी हद तक जा सकता है आज तो अपने पर बितते हुए देख भी रही हूं।।
वह कहते हैं जब मोहब्बत में इतना दर्द है, तो तुमने किया ही क्यों। हमने भी हंसकर जवाब दिया कि जब किस्मत में दर्द ही ना होता, तो यह मोहब्बत होता ही क्यों।।
दिल तो आज भी ये मानने को तैयार नहीं कि, ये रह लेगा तेरे बिना। दिल बड़ा नादान है, नहीं हो पाएगा इसका जीना। ये दिल तो इतना साफ है कि, माफ भी कर देगा तुझे। पर ये दिल जख्मी भी उतना ही है कि, भुल न पाएगा दिया हुआ दर्द तुझसे।।
बहुत रो चुके हम, तेरी बेवफाई पर। अब कुछ सवाल रह गए इस दिल में..कि, क्यों मोहब्बत के ही रिश्ते में दर्द मिलता है। जिस पर किया इतना भरोसा, क्यों पल भर में वो टूट जाता है। आखिर...ये रिश्ता है कैसा, जो एक ही क्षण में ही सब बिखरा देता है।।