Isha   (Isha ✍️ 🌷)
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Joined 23 June 2020


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YESTERDAY AT 0:48

जुदा है पर ख़ुदा है
तर्ज़ ए इनायत पर ये ख़्याल
इश्क़ वालों को भा चुका है।


ओ सज़ा है पर कज़ा है
तर्ज़ ए इनायत पर ये भी ख़्याल
नई सुबह हर खा चुका है।

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24 APR AT 11:06



जुदा



खुदा

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19 APR AT 19:24

तेरी साँसों का अटकना इशारा हैं कहीं
कोई दास्ताँ तुझ बिन रुक रही है कहीं।

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11 APR AT 18:20

अधूरा ही सही पर वो काबिल ए इबादत है,
महताब ओ इश्क़ पर कुछ ख़ास ही इनायत है।

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4 APR AT 22:20

प्रेम है इन तीन में समाता - सम्मान, समर्पण और स्वीकारिता

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28 MAR AT 11:56

पत्थर की क़ीमत तब समझ आती है,
जब सुनसान सड़क पर कुत्ते घेर लेते हैं।

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28 MAR AT 10:54

मिट्टी का जिस्म ओ आग सी ख्वाहिशें
लाज़मी है हमारा यूँ ख़ाक हो जाना।

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23 MAR AT 22:29

दिखता नहीं कभी पर रहता तो साथ है,
तकलीफ़ ए साए में तक़दीर का हाथ है।

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23 MAR AT 22:22

शिकायत थी उन्हें कि
हमने बीच राह ही छोड़ दिया,
पर इतनी तेज़ धूप ही ने
साये को पीछे मोढ़ दिया।

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21 MAR AT 23:40

इस बार फिर वही मलाल रह जाएगा
हाथ में तेरे नाम का गुलाल रह जाएगा,

हक़ ए रंग का जमाने में सवाल तो रहेगा
आईने का पूराना वही बवाल रह जाएगा।

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