Inkspire Shayari   (Manjeet kaur)
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Insta: _whispering_emotions
Joined 10 April 2023


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Joined 10 April 2023
24 APR AT 0:09

बहुत देर लगी समझने में!!
मेरा पिंजरा नही बल्कि,
खुला आसमान हो तूम।
मैं बेड़ियां मान बैठा,
पर मेरे पंख हो तूम।

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23 APR AT 12:09

सब नज़रिए की बात है!
हमने उनसे दूरी को ही,
आखिर मौत मान लिया।

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12 APR AT 22:44

कल कहीं हार ही ना जाऊं,
इसलिए आज खेलने से ही ड़र रहा हूं।
जिंदगी कल रूठ ही ना जाए,
इसलिए आज ही पल-पल मर रहा हूं।

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8 APR AT 16:36

चल पड़ा हूं आज मैं,
ऊजाले को ही देख।
मंजिल तुम तक होगी,
ये आभास हमें नहीं।

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7 APR AT 9:07

तेरा दूर होना,
यूं मजबूर होना,
सब चुभता है मुझे।

तेरे मेरे दरमियां,
हर पल कांँच होना,
सब चुभता है मुझे।

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3 APR AT 14:10

पत्थरों पर चल कर,
खुद पत्थर हो गया हूं।
रोशनी ढूंढते-ढूंढते,
अंधेरों में खो गया हूं।

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18 MAR AT 14:41

लाखों मुखोटे ओढ़ने पड़े,
एक मुखोटा छिपाने को।
लाखों दर्द भी सहने पड़े,
दिल का दर्द छिपाने को।

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14 MAR AT 1:11

किसी को बोझ ज्यादा नज़र आया,
किसी को नन्ही जान में ही कम दम।
हालातों को आखिर और कोई नहीं,
सहने वाला ही था जो समझ पाया।

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13 MAR AT 1:10

तेरी याद में जो बहे,
ये आँसू भी मेरे नहीं।
जिन आँखो से निकले हैं,
आज उन्हे ही जला रहे हैं।

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12 MAR AT 9:26

जरूरी बात ये है कि, मैं ही पागल हूं,
प्यार में, या प्यार के लिए, क्या फ़रक पड़ता है।

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