...INK..   (Pradnya!!)
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Joined 26 October 2019


Joined 26 October 2019
16 JAN 2022 AT 10:08

बस कुछ देर और फिर आंखे नम हो जाएंगी,
कुछ वक्त बाद तुम्हारी ये शिकायतें कम हो जाएंगी।।

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14 JAN 2022 AT 22:16


मैं इक नदियां थी
जो जम चुकी थी,
जो थम चुकी थी,
उसने मुझे फिरसे बेहना सीखाया हैं
मैं ख़्वाब जो सजाया करती थी,
उसने उन्हें हक़ीक़त बनाया हैं।।

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29 DEC 2021 AT 11:35

जहान भर मे ढूंढा जिसको,
वो सुकुन मेरे घर के इक कोने में छिपा बैठा था।।

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21 DEC 2021 AT 11:46

पन्ना मेरी शक्सियत का हर एक पलटाया गया,
जाना गया इसे लेकिन अफ़सोस समझा ना गया।।

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14 DEC 2021 AT 20:05

'तुम'
किसी और को कहूं तो तुम ही रहता है,
लेकिन जब तुम्हें कहूं तो न जाने क्यों ये 'मैं' हो जाता हैं
ये छोटा सा अल्फाज़ मुझे मेरी रूह से मिलवा देता हैं।।

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28 NOV 2021 AT 18:22

वो कहते हैं हमसे
प्यार में उम्मीद ना हो तो तकलीफ़ नहीं होगी
ज़रा बतलाओ मुझको
जहा उम्मीद ना हो भला वो मुहोब्बत कैसे होगी?

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28 NOV 2021 AT 9:25

To release your inner
world of frustration,
Cry when you feel
you can't share with anyone

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27 NOV 2021 AT 20:14

फिर इक बार ज़िंदगी की महफ़िल से तन्हा हो जाऊं,
खिलखिला उठों तुम जीस में, मैं ऐसा लम्हा हों जाऊं।।

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3 NOV 2021 AT 20:59

किसी भी रिश्ते मे कभी मतलब नहीं होता
जहां हो वाहा सिर्फ मतलब ही होता हैं।

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8 OCT 2021 AT 14:02

हर एक शख्स इस बात का गवा हो रहा हैं,
ये जो मोहब्बत लफ्ज़ मेरी रगों में रवा हो रहा हैं।।

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