बहकों मतना बेटियों,कुल को समझों ख़ास।
पैंतीस टुकड़ों में कटा,श्रद्धा का विश्वास।
भरोसा मतना कीजिए,सब पर आंखें मींच।
स्वर्ण मृग के भेष में,आ सकता मारीच।
मां बाप के हृदय से,गर निकलेगी आह।
कभी सफल होगा नहीं, ऐसा प्रेम विवाह।
आधुनिकता के समर्थकों,इतना रखना याद।
बिन मर्यादा आचरण,बिगड़ेगी औलाद
जीवन स्वतंत्र आपका,करिये फैसला आप।
पर ऐसा कुछ न कीजिए,मुंह छिपाये मां बाप।
घर आंगन की गौरैया,कुल की इज्जत आप
सावधान रहना जरा,षड्यंत्रों को भांप।
बालीवुड़ की गंदगी,खत्म किये संस्कार।
जालसाज अच्छे लगें, बुरा लगे परिवार।
जब कभी तन पर चढें,अंधा इश्क खुमार।
इस दरिदंगी को याद तुम,कर लेना इकबार।
नारी तुम श्रद्धा रहो,न घर उपयोगी चीज।
फिर किस की औकात जो,काट रखें तुम्हें फ्रीज।
संस्कारों की सराहना,कुकृत्य धिक्कारो आज़।
आने वाली पीढ़ियां, करेंगी तुम पर नाज़।
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