Ilma Hussain  
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Joined 19 August 2019


Joined 19 August 2019
23 MAR 2021 AT 20:03

माफ करदे खुदको, करले खुद से वफा
क्या वजह है जो है तू, खुद से इतना खफा
किस बात को है तू अपने मन में ही दबाया
जिसके चलते तू ढंग से जी ही नहीं पाया
क्या है दर्द तेरी ज़िंदगी में ऐसा
जिससे रहा न तू पहले के जैसा
पीछे की हुई गलतियों को पीछे ही छोड़ दे
पछतावे की आग में न दूर हो तू खुद से
कर दे शुरू आज से ही उस दिन की तैयारी
जब रह न जाए कोई भी पछतावे की चिंगारी
माज़ी की गलतियों से लेकर तू ये सबक
रौशन कर मुस्तकबिल को, पहुंच कर बुलंदी तक

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18 AUG 2020 AT 21:51

देख कर तमाशा जिंदगी का मेरा
न जाने कितनी हस्तियां खुश होंगी
गिन कर अश्क आंखों के मेरे
न जाने कितने चेहरों पर मुस्काने होंगी

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10 MAY 2020 AT 18:27

Maa❤️

मुझसे भी ज़्यादा मुझपे हक जताती है
वो खुदसे ज़्यादा मुझे चाहती है
जब - जब देखती हूं मासूम सा चेहरा उसका
मुझे मेरी पूरी जन्नत दिख जाती है

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14 APR 2020 AT 9:25

कुछ कमज़र्फ लोगों की वजह से हुई बदनाम हूं मैं
जो किया ही नहीं उस गुनाह की गुनेहगार हूं मैं

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16 FEB 2020 AT 23:42

जब तक वाक़िफ न हुए हो सीरत - ए - रूह से
तब तक दावा - ए - मोहब्बत नहीं होती
जो सिर्फ शक्ल देख कर हर रोज़ किसी पर मर - मिटते हैं
उन्हें ज़िन्दगी भर सिर्फ एक चेहरे से मोहब्बत नहीं होती

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1 FEB 2020 AT 14:24

लाख कोशिशों के बाद भी
ना मुझ पर किसी का ज़ोर चल पाता है
बस एक तेरे सामने ही
मेरा होश खो जाता है
अपनी नज़रों के जाम से तू
मुझे बहका सा जाता है
लगता है कि शायद तुझे
कोई जादू - टोना आता है

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25 DEC 2019 AT 14:18

मेरी शायरियों के किसी शख्स से ना तो कोई रिश्ते और नाते हैं 😒
फिर भी पता नहीं क्यों लोग इन्हें अपने ऊपर ले जाते हैं😂

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20 DEC 2019 AT 22:36

ना तो है इंकार और ना ही है इकरार
उलझे - उलझे रिश्ते उलझे - उलझे जज्बात
समझ से है परे मेरे ये सारी बात
उलझे - उलझे रिश्ते उलझे - उलझे जज्बात
लोग कितने भी क्यों ना हो आस - पास मेरे
हर लम्हा है अधूरा सा मेरा बिन तेरे
गुजरता नहीं है दिन जब हो ना तुझसे बात
उलझे - उलझे रिश्ते उलझे - उलझे जज्बात
कभी नजरों के सामने आकर गुम हो जाते हो
तो कभी प्यार से कानों में शरारतें घोल जाते हो
क्या मुझे तंग करना ही हो गई है तेरी ज़ात
उलझे - उलझे रिश्ते उलझे - उलझे जज्बात
धड़के दिल मेरा इर्द - गिर्द तेरे आने से
डरती हूं तुझे अपने ख्वाबों में भी लाने से
ढलते नहीं है दिन ना गुजरती है मेरी रात
उलझे उलझे रिश्ते उलझे उलझे जज्बात
रखना चाहती हूं दूर खुद से तेरे ख्यालों को
पर जाते ही नहीं ये कितना भी कहूं जाने को
एक पल नहीं मेरा जिसमें हो ना तेरी याद
उलझे - उलझे रिश्ते उलझे - उलझे जज्बात
दिल कहे कि जिंदगी भर बस बेइंतेहा चाहूं तुझे
पर ज़हन देता ही नहीं इजाजत इस बात की मुझे
हर बार ज़हन देता है दिल को मेरे मात
उलझे - उलझे रिश्ते उलझे - उलझे जज्बात

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26 NOV 2019 AT 22:13

Ulajhna nahi hai ab mujhe
Teri in baaton k bhawar mein
Mujhe pata hai k tu mahir hai
Dil chori karne k hunar mein

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3 OCT 2019 AT 20:30

Tu aasman ki tarah din mein
kai baar rang badalta hai
Or main mitti ki tarah jiska rang
aaj bhi wahi.......
kal bhi wahi.......
or barson baad bhi wahi.........

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