माफ करदे खुदको, करले खुद से वफा
क्या वजह है जो है तू, खुद से इतना खफा
किस बात को है तू अपने मन में ही दबाया
जिसके चलते तू ढंग से जी ही नहीं पाया
क्या है दर्द तेरी ज़िंदगी में ऐसा
जिससे रहा न तू पहले के जैसा
पीछे की हुई गलतियों को पीछे ही छोड़ दे
पछतावे की आग में न दूर हो तू खुद से
कर दे शुरू आज से ही उस दिन की तैयारी
जब रह न जाए कोई भी पछतावे की चिंगारी
माज़ी की गलतियों से लेकर तू ये सबक
रौशन कर मुस्तकबिल को, पहुंच कर बुलंदी तक
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