मैं वहाँ हारा,
जहाँ प्यार मेरी सच्ची थी,
चलते हुए फिसला वही,
जहाँ सड़क पक्की थी|
कहते है जनाब, जाने वाले को रोकना अच्छा नहीं,
पर वो तो मेरी जिंदगी की एक खूबसूरत पहेली थी,
लेकिन वो खुद ही गुमशुदा निकली दोस्तों,
उसका साथ निभाने का वादा भी,
उसकी तरह कच्ची और नकली थ |
तो चल पड़ा ऐ दोस्तों, अब ऐसे राह पर,
जहाँ असलियत की ना कोई पहचान है,
और चेहरे की वजूद भी अब नकली है,
कोई मेरे बारे में तुमसे पूछे, तो कहना अभी,
था मिलता सभी से वो, अब उससे मिलते है सभी |
बदल दिया कइयों की हरकतों ने उसे,
ना रहा अब वो, जिसे सब जानते थे कभी |
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