अरदास है रब से एक सुबह चाहिए अस्पतालों के बजाय इंसान बाज़ारो में चाहिए वो सन्नाटो के बीच स्कूल की घंटीया और खेल के मैदानों में शोर चाहिए एक सुबह चाहिए जब भीड़ दवा की दुकानो पर नही चाय की टपरी पर चाहिए।
सड़क वीरान शोर से अनजान ना कोई इस ओर ना कोई उस ओर अकेला भटक रहा इधर उधर भाग रहा जैसे हवा के संग कागज़ के उड़ना वो चीख रहा चिल्ला रहा सुनसान बस्ती में ना जाने क्या खोया वो ढूंढ रहा कुछ लोग आए उसे लेकर चले गए लगता वो बीमार था मगर वास्तव में वो भूख से पीड़ित था।