यू आंखों से सैलाब उठा और गालों तक लहर गई इस ह्रदय के जज्बात की ज्वाला डगमगा कर ठहर गई यू कहना था तो बहुत मगर हर जख्म दिखाना भारी था उन जख्मों को शब्दो में पिरोकर लब तक लाना भारी था और कहते भी तो किस से हम नाजुक सा दिल जिसने तोड़ा था जीवन के अमर भवन में तन्हा सा जिसने छोड़ा था में क्यू अपने जज्बातों को यूं तुझ पर बरबाद करू कही और लगाऊं भावो को कुछ और कही आबाद करू लो भंवरे सा में उड़ चला हर बाग की कली खिलाने को जिस दिल में तुमने ठोकर दी उस दिल को कही लगाने को मैं फिर से प्यार लुटाने को , मैं फिर से प्यार को पाने को जीवन पथ पर चल निकला हूं जीवन को सफल बनाने को ।
खुदाया क्या ज़माना है , नदी पर प्यास का मौसम उसे हासिल सभी खुशियां हमारे पास केवल ग़म मोहब्बत की कहानी ये मुकम्मल हो नहीं सकती हमारे बिन जो पूरा है , उसी के बिन अधूरे हम.....
मैं उजले में दिए जलाता हूं तेरी महलो को सजाने की आदत है , मैं खतों में मोहब्बत लिखता हूं तेरी स्नैप चैट चलाने की आदत है । मैं तेरी बातों को दिल पर नही लेता मुझे तेरी बातों की आदत है मैं पलके झुकाए रखता हूं इज्जत में तेरी नजरे उठाने की आदत है, मैं दूसरो को देख मुंह फेर लेता हूं तेरी मेरा दिल जलाने की आदत है और तू रोज बनाती है यार नए मुझे रिश्ते निभाने की आदत है ।
आज फिर एक सिक्का को उछला मैने जैसे दिल को उछाला था, सोचा हेड आने पर भूल जाऊंगा, और टेल आने पर छोड़ जाऊंगा, पर कंभकत हमेशा की तरह किस्मत ढीली थी और सिक्का उछल कर जहा गिरा वहा की मिट्टी भी गीली थी । ❤️🩹❤️🩹❤️🩹❤️🩹❤️🩹❤️🩹❤️🩹
जिम्मेदारियों तले हिम्मत टूट जाती है लड़को की अक्सर गांव की होली छूट जाती है लड़को की एक दूरी बनी रहती है , कुछ चीज अपनाकर भी अपनापन नही होता लाख हो बेबस बेघर फिर भी घर जाने का किसका मन नहीं होता , एक कमरे में यूं ही घुट जाती है जिंदगी लड़को की अक्सर गांव की होली छूट जाती है लड़को की ।
हजारों बादलो का दिल हुआ, पानी बहुत मचला , हिमालय धूप के आगोश में आकर नही पिघला, घुला चंदा घुला सूरज घुली सौ रूप की किरणे, मगर इस झील के पानी ने अपना रंग नही बदला ।
मैं झुमका तो बना उसका , लेकिन हार न बन पाया । पर क्या करू मैं उस लड़की का प्यार ना बन पाया । सोम बना और बना शुक्र उसका मैं, रविवार ना बन पाया , पर क्या करू मैं उस लड़की का प्यार ना बन पाया ।
याद आती है वो बीती बाते तेरी फिर देखता हूं की तू अब पास नही , कितनी बेहतरीन जिंदगी बनाई थी हमने खैर अब तो कोई बात नही ।
सब ने दरवाजे बंद किए , कोई दरवाजा मेरे लिए खोला नही दुःख तो इस बात का है, तूने जाना सब पर कुछ बोला नहीं, मुझे गैरो से कोई उम्मीद नहीं , पर अब तुमसे भी कोई आस नहीं , खैर अब तो कोई बात नही।