इन सियासतदारो ने मजबूर किया खाकी को, वरना मे सक्षम था उन हैवानो को उनकी मृत्यु तक पहुंचने मे, अपना फर्ज़ निभाने मे, पर मुझे हाथ बांध खड़ा किया गया, उस गुड़िया को आधी रात जलाने मे मुझे इस अपराध मे लिप्त किया गया..
और हम दोनों अलग हो गए। ये पल भी कभी न कभी तो आना ही था। बुरा तो लग रहा है। लेकिन ज्यादा बुरा ये है कि अब तुम मेरे पास्ट का एक हिस्सा भर रह जाओगीं । उन बहुत सारे लोगों की लिस्ट में चली जाओगीं जिन्हें मैंने कभी मुड़ कर नहीं देखा। अब दोस्तों के बीच कभी तुम्हारा ज़िक्र होगा तो वो 1000 वॉट वाली मुस्कराहट (जैसा कि दोस्त कहते थे) नहीं आयेगी। अब एक फीकी सी मुस्कुराहट तैर जायेगी। अब कभी राह चलते मिल भी गए, तो तो तुम्हें देख शायद मुस्कुरा नहीं पाऊँगा। शायद पलट कर देखूं भी ना । अब तुम्हारा होना या न होना परेशान नहीं करेगा। ''इश्क़ है तुमसे" ये भी नहीं बोलूंगा अब । अलग हो गए हैं न हम....
माफ़ी बिटिया, तुम सुशांत,ड्रग, रिया नही हो, केवल एक लड़की हो जिसके लिए, इस देश की मीडिया के पास वक़्त नही है, ना ही इस देश के नेताओं के पास इतना समर्थ, जो खुलके बोल सके की आज के बाद ऐसा दोबरा नही होगा..