आज वक़्त को इस कदर बेवक़्त कर दिया, तुमने कमीज को पकड़ा और दस्तख़त कर दिया। और कभी भूल न जाओ हमें उस वक़्त के लिये, मेरी पहचान के लिये हमने भी दस्तख़त कर दिया॥ -
आज वक़्त को इस कदर बेवक़्त कर दिया, तुमने कमीज को पकड़ा और दस्तख़त कर दिया। और कभी भूल न जाओ हमें उस वक़्त के लिये, मेरी पहचान के लिये हमने भी दस्तख़त कर दिया॥
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अब कौनसा खुशनुमा इतवार रहता है, अब सारा दिन मेरा इक्सार रहता है...! -
अब कौनसा खुशनुमा इतवार रहता है, अब सारा दिन मेरा इक्सार रहता है...!
कौन निकलता है घर से चाह कर के, मजबूरी ही आदमी के इतने घर करती हैं! -
कौन निकलता है घर से चाह कर के, मजबूरी ही आदमी के इतने घर करती हैं!
कई ख़्वाब मेरे उम्मीद ए जफर में है...! हम मुसाफिर है,जब भी है सफर में है...! -
कई ख़्वाब मेरे उम्मीद ए जफर में है...! हम मुसाफिर है,जब भी है सफर में है...!