Harsh vardhan Sharma   (हर्ष वर्धन शर्मा “वशिष्ठ)
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Joined 20 October 2022


Joined 20 October 2022
5 MAY AT 19:25

आज वक़्त को इस कदर बेवक़्त कर दिया,
तुमने कमीज को पकड़ा और दस्तख़त कर दिया।
और कभी भूल न जाओ हमें उस वक़्त के लिये,
मेरी पहचान के लिये हमने भी दस्तख़त कर दिया॥

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17 MAR AT 12:05

अब कौनसा खुशनुमा इतवार रहता है,
अब सारा दिन मेरा इक्सार रहता है...!

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29 FEB AT 18:38

कौन निकलता है घर से चाह कर के,
मजबूरी ही आदमी के इतने घर करती हैं!

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28 MAR 2023 AT 6:25

कई ख़्वाब मेरे उम्मीद ए जफर में है...!
हम मुसाफिर है,जब भी है सफर में है...!

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