Harsh Chamoli   (Harish Chamoli)
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Joined 8 September 2018


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Joined 8 September 2018
1 JAN AT 8:49


अजी कौन सा,कैसा,नया साल,कुछ भी तो नया हुवा नहीं।
ओंठ तो छोड़ो अभी तो मैंने,तेरे गालों को तक छुवा नहीं।
भई मैं तो अपना नया साल अब,उस दिन से ही मनाऊँगा,
जिस दिन तेरा हाथ पकड़कर,अग्निदेव को साक्षी बनाऊंगा।

- हरीश चमोली

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31 DEC 2023 AT 6:32

डायरी के अंतिम पन्ने पर,मेरा अबके नाम लिखोगी क्या?
बोलो नए वर्ष के दिन मुझको,उपहार अनोखा दोगी क्या?
घड़ियां-वड़ियां,टैडी-सैडी,गुल-गुलदस्ते अब लगते फीके हैं,
कहो इस बार मेरे ओंठों को,अपने ओंठों से सी लोगी क्या?

- हरीश चमोली

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20 DEC 2023 AT 8:34

अब सब कुछ है पास मेरे,फिर भी  कुछ तो खाली सा है।
कहने को तो दोस्त बहुत हैं,फिर भी हर एक जाली सा है।
साथ  में अब वो  यार नहीं हैं,झगड़ा-वगड़ा  प्यार नहीं है।
लेके  गिलासों  को हाथों में,  कांच की वो झंकार नहीं है।
पूष के  मौसम  की  ठंडी  में,जामों  की  बरसात  नहीं है।
टंगड़ी-वंगड़ी  खाने  वाले, उन यारों   की  बारात नहीं है।
हंसने-रोने की वो  बातें, खुलकर जीने  की रात  नहीं  है।
प्यार-मोहब्बत के किस्सों में, वो पहले वाली बात नहीं है।
आज देख लोगों  की हालात, मन  हो रहा सवाली सा है।
कहने को तो दोस्त बहुत हैं,फिर भी हर एक जाली सा है।


✍️हरीश चमोली

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15 DEC 2023 AT 10:04

मेरी हसरत,खुदा की रहमत,मेरी मुहब्बत।
चैन  सुकूँ सब  ले जाती है, मेरी मोहब्बत।
रोऊँ-धोऊँ,तड़पूं-तरसूं,उससे तुमको क्या?,
चाहत,आदत,और इबादत,मेरी मोहब्बत।


✍️हरीश चमोली

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13 DEC 2023 AT 8:07

कुछ बातें कही तुम्हारी,जो आज अनकही हो गयी।
मैं जो सही था आज गलत, और तुम सही हो गयी।
इक दौर साथ रहे,कितने सावन के झूले झूल लिए,
आज मैं गुजरा जमाना और तुम फिर नई हो गयी।

हरीश चमोली

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5 SEP 2023 AT 13:16

चंदा पूजा, सूरज पूजा, और पूज लिया आकाश।
मिट्टी, पत्थर, नदियाँ, पर्वत, पूज लिया उपवास।
सत्य सनातन धर्म पुरातन, यही आदि और अंत।
मिट जाओगे,मिटा न सकोगे,चाहे करो एक प्रयास।

✍🏼हरीश चमोली

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6 AUG 2023 AT 22:43


Happy friendship day

सखा कई आए जीवन में, कुछ बिछड़े,कुछ मगन हैं धन में।
जबसे लगी लगन कान्हां से,तबसे न शेष है कोई भी मन में।


हरीश चमोली

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7 MAR 2023 AT 10:36

💐💐।।होली की हार्दिक शुभकामनाएं।।💐💐

होली के पावन अवसर पर,गुलाल तो यूँ लगाना है।
मृदु भावों से जन-जन के,गालों को छूकर आना है।
इस होली सारे ही द्वेष भूलकर,प्रेम रंग में रंग जाएं,
जो हुवे पराए रुठके हमसे,मिलकर उन्हें मनाना है।
✍️हरीश चमोली

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30 JAN 2023 AT 5:37

नयन बिछाए देख रहा है,गाँव हमारी राहों का।
जाने हार बनेगा कब वो,बूढ़ी अम्मा की बाहों का।
शहर गया था बेटा कब से,लौटा नहीं है वर्षों से,
जाने खयाल करेगा कब वो,बूढ़ी माँ की आहों का।

- हरीश चमोली

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26 JAN 2023 AT 6:28

गणतंत्र दिवस की हार्दिक शुभकामनाएं

कितनी पीड़ा सही उन्होंने,तिरंगे की शान बचाने को।
खदेड़ फिरंगियों को भारत से,अपनी आजादी पाने को।
कुछ ने सीने पर गोली खायी,तो कुछ फंदों पर झूल गए।
लाशों के अनगिन ढेर जले थे,यहाँ संविधान बनाने को।

बाईबिल,गीता,कुरान ने हमको,यदि जीवन का था मंत्र दिया।
तो संविधान की इस पुस्तक ने,ही हम सबको गणतंत्र दिया।

छब्बीस जनवरी का दिन कैसे,इतिहासों में यूँ दर्ज हुवा।
वीर शहीदों की पावन माटी का,हम पर अचूक कर्ज हुवा।
ऐसी पुस्तक जिसने हमको,खुलकर जीने का अधिकार दिया।
इस संविधान की रक्षा करना भी,हम सबका ही तो फर्ज हुवा।

भ्रष्टाचार, परिवारवाद की, नीतियों ने यदि षड्यंत्र दिया।
तो संविधान की इस पुस्तक ने,ही हम सबको गणतंत्र दिया।
✍️हरीश चमोली

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