गणतंत्र दिवस की हार्दिक शुभकामनाएं
कितनी पीड़ा सही उन्होंने,तिरंगे की शान बचाने को।
खदेड़ फिरंगियों को भारत से,अपनी आजादी पाने को।
कुछ ने सीने पर गोली खायी,तो कुछ फंदों पर झूल गए।
लाशों के अनगिन ढेर जले थे,यहाँ संविधान बनाने को।
बाईबिल,गीता,कुरान ने हमको,यदि जीवन का था मंत्र दिया।
तो संविधान की इस पुस्तक ने,ही हम सबको गणतंत्र दिया।
छब्बीस जनवरी का दिन कैसे,इतिहासों में यूँ दर्ज हुवा।
वीर शहीदों की पावन माटी का,हम पर अचूक कर्ज हुवा।
ऐसी पुस्तक जिसने हमको,खुलकर जीने का अधिकार दिया।
इस संविधान की रक्षा करना भी,हम सबका ही तो फर्ज हुवा।
भ्रष्टाचार, परिवारवाद की, नीतियों ने यदि षड्यंत्र दिया।
तो संविधान की इस पुस्तक ने,ही हम सबको गणतंत्र दिया।
✍️हरीश चमोली
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