जो केवल एक कौम का रहा.. कवि कहलाने लायक थोड़े ही हे.. जो मर कर भी ना हो सका अमर.. जिसे जन्नत मेँ भी राहत" थोड़े ही हे..🙏🏻🙏🏻 बहुत से लोग रोयेंगे फूटकर तेरी मैय्यत में,
"घमंड" घमंड और अहंकार से इंसान खुद को तो बर्बाद करता ही है पर उससे कही ज़्यादा वो अपने क़रीबियों का दिल दुखाता रहता है और सबसे दूर होता जाता है अपने साथ-साथ उन्हें भी बर्बादी के रास्ते पर ले जाता है उसके साथ सिर्फ़ वही लोग रहते है जिन्हें उसकी ज़रूरत है ना की वो जो उसकी परवाह करते है..