अच्छाई की बुराई पर सदा विजय का प्रतीक है विजय दशमी अपने अंदर के रावण के दहन का प्रतीक है विजय दशमी लेके नाम श्रीराम का श्रीराम के आदेशानुसार जीवन जीना है ऐसे सात्विक जीवन के प्रारम्भ का प्रतीक है विजय दशमी
सीखा है तुमसे हर बात हर मुलाक़ात का अंदाज़ हमने और जुबा से कब और कितना निकले वो अल्फ़ाज़ हमने मुफ़लसी में भी हमे सबर और शूकर से जीना सीखाया लौटकर आजा रो रो के अकेले में बहुत दी आवाज हमने
माँ वो है जिसे प्यार के सिवा कुछ नहीं आता है बच्चा कैसे भी क्यू ना हो माँ को हमेशा भाता है और बच्चे अपनी माँ को फिर भी समझ लेते हैं पर बाप दुनिया से जाने के बाद समझ आता है