मन से लगाओ माँ को आवाज पूरे होंगे सारे बिगड़े काम काज माता की शरण में जो भी है आया उसने बिना माँगे ही सब कुछ हैं पाया माता रानी की महिमा है अगम अपार लगाती हैं वो अपने भक्तो का बेड़ा पार मैया के दरबार मे भक्त रोते हुए जाते है वहाँ से भरी झोली लेके ही वापस आते हैं जिस पर बन जाती हैं माँ की कृपा कि छाया उसका कभी कोई कुछ भी नही है बिगाड़ पाया
ॐ सर्वमंगल मांगल्ये शिवे सर्वार्थसाधिके। शरण्ये त्रयम्बके गौरी नारायणी नमोस्तुते।।
भले ही हमे मिले थोड़ी सी सफलता कम किसी को न दिया हैं नाही देंगे कभी धोखा हम हो सकता है अपने साथ वालों से मैं थोड़ा गया पिछड़ परिस्थियों ने तपाया इतना की पहले से ज्यादा गया निखर ठोकर लगकर अगर कभी गिरा भी तो आसानी से उठ जाऊँगा किसी के नजारों में जो मैं गिरा तो सायद ही कभी मैं उठ पाऊँगा इसीलिए दुसरों से अपेक्षाएँ रखना छोड़कर खुद को रहा हूं मैं तराश बस मेहनत ही है जो सबको मेरे खास होने का कराएगी एक दिन एहसास
मानता हूँ जीवन में सफ़लता आपके संबंधों की संख्या को बढ़ाती हैं कभी-कभी सफ़लता की भूख ही हमारे संबधों को तार तार कर जाती हैं सुनते आया हूँ बचपन से ही की कुछ पाने के लिए पड़ता हैं कुछ तो खोना ये भी एक सच है कि कुछ पाकर जब अपनों को खोते हैं तो जीवन भर पड़ता है रोना
अच्छा होगा उनसे दूर ही हो जाना जिनको नहीं आता हो रिस्तों को निभाना जिनके लिए रिस्तों से ज्यादा धन दौलत हो ज़रूरी उनके पास सब होते हुए भी जिंदगी रहती हैं अधूरी उनलोगों को चाहे दे दो ख़ुद कों सुधारने के मौके हज़ार कभी नहीं सुधरेंगे ये लोग साबित कर दिखाएंगे हर एक बार
मुझे तोड़ कर तूने मेरी जिंदगी बनाई अच्छा हुआ जो तु मेरे लिए हो गई पराई मेरे आँख पर जो पर्दा था पड़ा उसे तूने हटाया सफ़लता जरूरी है तेरे जाने के बाद मैं समझ पाया मैं डूब गया इतना तुझमें की खुद तक के पहचान को गवाया तेरे ठुकराने ही ने मुझे आज सफ़लता के इस मुकाम पर पहुंचाया