{There is an analogy to everything in the world, but there is no analogy to a guru. Paras Mani turns iron into gold but not Paras. Whereas the guru makes his disciple his own form.}
बहुत मिल लिए ज़माने भर से हम चलो अब कुछ पल अपने आप से भी मिला जाए। सुन ली अभी तक सभी की मन की चलो अब कुछ खुद की मनमानी भी की जाए। चल लिया हर किसी के पीछे अब तलक अबसे अपनी बनाई राहों पर भी चला जाए। जी ली सभी के हिसाब से ज़िन्दगी ‘गगन’ बस !! चलो ज़िन्दगी को अब खुद के नज़रिये से भी जिया जाए...........। ✍️
सादगी और नादानी ही पहचान है मेरी , इज्ज़त बड़ी ही सबकी दिल से मैं करता हूँ । कौन कितना मेरा अपना है सब समझ में आता है फिर भी ज़माने भर से मैं हँस के मिलता हूँ .....!✍️🖤
जो बीत गया है वो अब दौर ना आएगा, इस दिल में सिवा तेरे कोई और ना आएगा, घर फूंक दिया हमने अब बस राख़ उठानी है ज़िन्दगी और कुछ भी नहीं तेरी मेरी कहानी है .....! —Santosh anand ji
जो काम,क्रोध,लोभ,मोह,अहंकार,उपहास,तिरिस्कार,छल,कपट,शोक, और अपमान रूपी हलाहल विष को पीकर भी शान्तमन से धैर्यसाध ले और मुस्कुरा दे वह इन्सान आज की इस दुनिया में नीलकंठ (शिव) से कम नहीं हो सकता........।
दुनिया में रहने के लिए भले ही समझदार और बड़े हो जाना, साहब! पर ज़िन्दगी को खुल कर जीने के लिए बचपना अपने में जिन्दा जरूर रखना। क्योंकि जो मजा़ बचपने में है वो अब बड़पन में कहाँ..... क्योंकि जो दिल से बच्चा है वाकई वह इन्सान सबसे अच्छा है।
मेरी यादो में ज़िंदा तू आज भी है, मेरे हर लम्हें में शामिल तू आज भी है। तेरा मुस्कुराहट भरा चेहरा मेरे दिल में महफूज़ आज भी है, तेरे कदमों की आहट कानों को याद आज भी है। होता है एहसास घर में आज भी जैसे है तू पास मेरे यही कही..... पर!! अब कैसे कहूँ कि — तेरे घर लौटने का इन्तजार मुझे आज भी है......!! ✍️