बहती हवा सी है जिंदगी न कोई ठौर न ही ठिकाना है, जिस राह मंजिल मिले बस वहीं ठहर जाना है, ठहरा हूं मैं भी गाँव की पगडंडियों में, शहर जाकर फिर से दौड़ में शामिल हो जाना है..
मुश्किल में है वक़्त जहां मुश्किल ये हालात हैं, हर कोई आकर बस ये पूछे बता भी दो क्या बात है, हंस कर बस मैं कह दिया अब न कोई साथ है, संघर्ष का है दिन यहां परिश्रम करती रात है..
तुम इजहार-ए-मुलाकात की बात करते हो, हम आँखों से इजहार कर लेते हैं, तुम बारिश में इन्तजार की बात करते हो, हम बारिश की बूँदों में उनका दीदार कर लेते हैं..