Gopeshwar KANWAR   (कंवरSAHAB✍️)
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मुसाफिर हूँ यारों,, घर भी है और ठिकाना भी.. ✍️

20-02-2020
Joined 20 February 2020


मुसाफिर हूँ यारों,, घर भी है और ठिकाना भी.. ✍️

20-02-2020
Joined 20 February 2020
16 MAR 2022 AT 13:44

रंग नहीं था उसके पास,

अपने होठों का रंग मेरे गालों पर लगा गई..

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26 FEB 2022 AT 22:59

खुद में उलझी हूं कुछ इस तरह
ये जिंदगी अब जंग लगने लगी है,
कहां से ढूंढ लाऊँ मैं खुशियों के रंग
अब तो ये दुनिया ही बेरंग लगने लगी है..

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17 FEB 2022 AT 7:34

फिर एक नई सुबह_धुंधली सी
दामन में अपने_सूरज छुपाये बैठी है,
है_नम_जैसे उसकी आंख भर आई हो
अश्कों में अपने_कुछ बात छुपाये बैठी है..

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3 DEC 2021 AT 7:55

बहती हवा सी है जिंदगी
न कोई ठौर न ही ठिकाना है,
जिस राह मंजिल मिले
बस वहीं ठहर जाना है,
ठहरा हूं मैं भी
गाँव की पगडंडियों में,
शहर जाकर फिर से
दौड़ में शामिल हो जाना है..

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18 SEP 2021 AT 10:51

मुश्किल में है वक़्त जहां
मुश्किल ये हालात हैं,
हर कोई आकर बस ये पूछे
बता भी दो क्या बात है,
हंस कर बस मैं कह दिया
अब न कोई साथ है,
संघर्ष का है दिन यहां
परिश्रम करती रात है..

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30 JUL 2021 AT 22:32

अफवाह हुई कुछ इस कदर
कि हम इश्क में बीमार हो गए,
कैसे समझायें कमबख्तों को
मौसम है बारिश का
और हम सर्दी के शिकार हो गए..

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29 JUL 2021 AT 19:42

हर कहानी मुझे_अपनी सी लगती है,
बिन उसके जिंदगी_खाली सी लगती है,
है दिल में खुशियों का_कारवाँ मगर
अब तो हर खुशी_खामोशी लगती है...

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20 JUL 2021 AT 0:29

निशाँ रखना ही है तो मेरी यादों का रखना

नहीं तो तुम्हारे अश्कों में_मेरे ही निशाँ नजर आयेंगे...

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18 JUL 2021 AT 12:30

तुम इजहार-ए-मुलाकात की बात करते हो,
हम आँखों से इजहार कर लेते हैं,
तुम बारिश में इन्तजार की बात करते हो,
हम बारिश की बूँदों में उनका दीदार कर लेते हैं..

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14 JUL 2021 AT 23:26

ख़यालों में सजाया है तुम्हें
ख्वाबों में ना_आया करो,
आँखों में बसाया है तुम्हें
नजरे यूँ ना_चुराया करो..

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