संसार, संसार न होता
अगर शब्द न होते,
शब्द कितने कैसे-कैसे होते हैं-
जब ब्लैक एंड व्हाइट होते हैं,
कितना नीरस कर देते हैं लाइफ को,
पर जब ये कलर्ड हो जाते हैं तो-
ज़िन्दगी के अंदाज बदल जाते हैं
हवा बदल जाती है घर और मन की,
शब्द न होते तो ज़िन्दगी वैक्यूम होती
हम त्रिशंकु में कचरा बनकर
इधर-उधर भटक रहे होते,
कितना अच्छा है शब्दों का संसार!
शब्दों के संसार से ही ये संसार है,
शब्दों का ये संसार ब्लैक एंड व्हाइट हो
या कलर्ड हो, बस बुरा न हो, चुभता नहीं हो
गांठ न बनता हो, स्लैंग या गालियों का न हो,
वर्ना ये संसार भी संसार न रहेगा
रहेंगे तो बस कुछ बजते हुए बर्तन रहेंगे
और हम!... तैयार रहेंगे बजने के लिए...
✍️ गोपाल 'सौम्य सरल'
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