यूँ तो सारी उम्र सफर में ही कटी जिंदगी
राह में लेकिन कभी अपना न मिला साथी न मिला
कहना था तो सोचा कि कह दूँ हैं हालात क्या
मैं तन्हा ही रहा मुझको पैमाना न मिला साकी न मिला
बैठा जो कभी देखने की जिंदगी में हमने खोया क्या पाया क्या
मैं सारा खर्च ही दिखा मुझमें कुछ बात न दिखी बाकी न दिखा
मैंने पांव कटवा दिए अपने मैने दूसरो की जंग में
फिर जब मैं गिरा तो कोई सहारा न मिला बैसाखी न मिला
किसे कहूँ की ये हँसता हुआ चेहरा है परेशां बहुत
मिलने को मुझे लोग तो मिले ढूँढने पे अपना हालांकि न मिला
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