Girish Pandey   (गिरीश)
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खामोश हूँ पर शांत नहीं...
Joined 26 December 2018


खामोश हूँ पर शांत नहीं...
Joined 26 December 2018
13 NOV 2023 AT 18:04

यूँ तो सारी उम्र सफर में ही कटी जिंदगी
राह में लेकिन कभी अपना न मिला साथी न मिला
कहना था तो सोचा कि कह दूँ हैं हालात क्या
मैं तन्हा ही रहा मुझको पैमाना न मिला साकी न मिला
बैठा जो कभी देखने की जिंदगी में हमने खोया क्या पाया क्या
मैं सारा खर्च ही दिखा मुझमें कुछ बात न दिखी बाकी न दिखा
मैंने पांव कटवा दिए अपने मैने दूसरो की जंग में
फिर जब मैं गिरा तो कोई सहारा न मिला बैसाखी न मिला
किसे कहूँ की ये हँसता हुआ चेहरा है परेशां बहुत
मिलने को मुझे लोग तो मिले ढूँढने पे अपना हालांकि न मिला

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28 AUG 2023 AT 3:37

सच्चाई कि इबादत का दावा था जहाँ
वहाँ आजमाइश की हसरतें पूरी कर ली
चुप था तो बुत बना के पूजा गया मैं
कह दिया तो हर शख्स ने दूरी कर ली

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6 AUG 2023 AT 15:00

जीवन के चार हर्फ़:

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6 AUG 2023 AT 12:03

ये दुनिया क्या है? बाजार।
और जीना क्या है? व्यापार।

ये खुशियां क्या हैं? मुनाफा।
और मोहब्बत क्या है? इमान।
तो वफा क्या है? उधार।

उसकी हंसी? सजावट।
हमारी हंसी? मिलावट।
ये दुनिया क्या है?बाजार....

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3 AUG 2023 AT 10:45


इतनी भी नहीं तन्हाई है जिंदगी में मेरे
सितमगर से ही आशनाई है जिंदगी में मेरे

हमने ढूँढा वो शख्स जो हो काबिल ए हमराह
हमने इसमें भी मुँह की खायी है जिंदगी में मेरे

हमे एहसास था कि कातिल पास है जरा तेज चलना है
कातिल ने कहा वो परछाई है जिंदगी में मेरे

कभी खामोशियों को तोड़कर जब मैं दर्द कह दूँ तो
कोई सुनता नहीं न सुनवाई है जिंदगी में मेरे

इस महफिल ए गैर में मैं क्या पढूँ तेरे खत पुराने
हुई इतनी भी न बेवफाई है जिंदगी मे मेरे

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2 AUG 2023 AT 1:21

भला कबतक रोता
या कबतक हंसी रोक पाता मैं
अबकी जो हारा
मैं खुद हँस पडा
जिंदगी की मजाक पर...

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2 AUG 2023 AT 1:14

बुरी आदतों ने थामे रखा हाथ बुरे दौर में भी
वो जो अच्छे लोग थे,अच्छे वक्त के साथ गुजर गए...

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1 AUG 2023 AT 11:01

ये दुनिया क्या है? बाजार।
और जीना क्या है? व्यापार।

ये खुशियां क्या हैं? मुनाफा।
और मोहब्बत क्या है? इमान।
तो वफा क्या है? उधार।

उसकी हंसी? सजावट।
हमारी हंसी? मिलावट।
ये दुनिया क्या है?बाजार....

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1 AUG 2023 AT 10:43

अब इस दिल का क्या बताए  
मालूम होता तो बताए             
तुम ख्वाबों की बात हो करते
नींद ना आयी क्या बताए

एक ही कश्ती हम-तुम बैठे
एक किनारे उतर पडेंगे
तुम हो राही मंजिल होगी
हम बंजारे क्या बताए

तुमने देखी बस्ती नदियां
हमने देखे रेत के टीले
तुमने देखे फूल-बहारें
हम सहरा का क्या बताए
सहरा: desert
कांटे कांटे चुनकर हमने
फूल तुम्हारे नाम किया था
तुम खूशबू के सौदागर हो
हम कांटो को क्या बताए

तुमने पूछा हाल नहीं
हमने सब कुछ पूछ लिया
तुम पूछते तो कुछ कहते
अब और बताओ पे क्या बताए...

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19 NOV 2022 AT 18:51

मेरे आँखों से एक क़तरा तोड़ कर
मेरे भीतर से इक समंदर आज़ाद कर दो
आओ... कि गले लगा के संवार दो मुझे
या आओ कि ठोकर से बर्बाद कर दो...

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