Gaurav Agrawal   (Gaurav agrawal)
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Joined 17 August 2018


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Joined 17 August 2018
8 NOV 2023 AT 20:40

The secret of a couple life untill it is behind the doors

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8 NOV 2023 AT 20:27

ख़तम हो जाए सांसे बस इतना ख्वाब है जिल्लत की जिंदगी जीना भी पाप है.

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3 APR 2022 AT 12:06

एक बहाना जीने का
पतझड़ हुए को, फिर सीन्चने का
मरू जो रूखी है कबसे अंतर्मन की
नए चाँद लगा,फिर सावन भीगने सा।
जो बिखरे है,वक़्त गुजरा समझ छोड़ दो
नए कलाम बाकी है,दो मौका लिखने का।
रंजिशे करनी हैं कई खुद से,नया गौरव जगाने को
नहाना है मस्ती के यौवन में, आइना तैयार है निहारने को
पहिया रुकता नहीं कैद मे,खून के हुक्मरानों से
बेफिक्र हो उड़ पड़ो, आता नहीं कोई बेड़िया काटने को।

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2 APR 2022 AT 20:51

साँझ के साथ कभी अपनी परछाई पे भी बात करो,
ढलते सुरज के बाद,हमेशा साथ,इस साथी को याद करो
सादिया गवाह हैं साथ छोड़ते कई इंसानों की
मुक्क्मल खड़ी हर वक़्त में, उस दोस्त के नाम भी कुछ शाम करो

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2 APR 2022 AT 20:43

नज़र अपनी भी तीखी रखना प्यार में शामिल होने के लिए,
बरसो से ठोकर खाकर इश्क में, आशिक शायरी में वक्त गुजार रहे हैं।।

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22 MAR 2022 AT 21:09

घुटन कहुँ तुम्हें या दिल की धड़कन

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18 MAR 2022 AT 17:05

होली का रंग अब फीका लगने लगा है।
किसी और का रंग उसकी माँग में सजने लगा है।

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11 MAR 2022 AT 20:46

हो मोहब्बत फिर से मुझे कभी
झरना तुम्हारी आंखों का,अभी तक जो बोझ डाले है
प्यार की आहट से, सावन की बूंद महसूस हो कहीं।

कई वार सहे मैंने दिल के,इश्कि पुलिंदा लिए जिया हूँ
सुखी है आंखे गम मे, गुलाब जल प्यार का पड़े शायद कहीं।



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9 FEB 2022 AT 15:24

दिल में लाता इक प्यार भरी मिठास।
खुश्बू इश्क़ की चुनता, करता ख्वाबो से बात
सारे रंग भरे है इसमें,खेलता रोज नई उमंग में साथ।
हसीं है मजा है,अन्छुए पहलुओं के दर्द को करता साफ
इजहार है हर रोज तुमसे, की तुम मेरी जिन्दगी हो
तुझे जीने हर रूप में,रोशन करता मेरा संसार,तुम्हारा साथ।

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7 FEB 2022 AT 20:33

मेरी हर ख्वाहिश में कैद,मेरा सारा वक़्त हो तुम
सुबह को रोशन, शाम में ढलती चांदनी हो तुम।
लुटा दू मै सारे हिस्से अपनी खुशियों से
हवन की पावन अग्नि लिए,मेरा हसीन वादा हो तुम।
पिता का आदर ,माँ की रौनक समेटे हो तुम
बात करुँ जो खुद की तो, मेरा जीवन हो तुम।
रूठना मनाना, हंंसना चिल्लाना, ये तो आम बातें है
गुस्से में भी प्यार से खाना खिलाती, वो गृहिणी हो तुम।
श्रृंगार अलंकार लपेटे, प्रेम रस में डूबी, धरती की अप्सरा हो तुम
माँ जैसी ममता,प्यार की गंगा लिए, मेरी जिन्दगी हो तुम।।




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