मेरी हर ख्वाहिश में कैद,मेरा सारा वक़्त हो तुम
सुबह को रोशन, शाम में ढलती चांदनी हो तुम।
लुटा दू मै सारे हिस्से अपनी खुशियों से
हवन की पावन अग्नि लिए,मेरा हसीन वादा हो तुम।
पिता का आदर ,माँ की रौनक समेटे हो तुम
बात करुँ जो खुद की तो, मेरा जीवन हो तुम।
रूठना मनाना, हंंसना चिल्लाना, ये तो आम बातें है
गुस्से में भी प्यार से खाना खिलाती, वो गृहिणी हो तुम।
श्रृंगार अलंकार लपेटे, प्रेम रस में डूबी, धरती की अप्सरा हो तुम
माँ जैसी ममता,प्यार की गंगा लिए, मेरी जिन्दगी हो तुम।।
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