कहना था बहुत कुछ, पर बातें अधूरी रह गईं, सुनना था तुमसे प्यार का हर इज़हार, पर वो इज़हार भी अधूरा रह गया, साथ चलते-चलते राह में, मंजिलें अधूरी रह गईं, रहा तो साथ बस जिम्मेदारियों का फलसफा, बाकी सांसें चलती रही लेकिन ज़िंदगी अधूरी रह गईं|
I am late deliberately because my imagination are very high for the future moments and they got vanished if i thought something in advance and this hurts me alot. when I plan for myself in isolation then it works. But i am not a isolated human being rather a part of Society.
वो धीरे-धीरे पास आ ही रहे थे, वो धीरे-धीरे प्रेम जाता ही रहे थे, लेकिन अचानक ! एक दिन उनकी सांसें हीं चलीं गई, वह रे भगवान, मेरे लिए प्रेम भी लिमिट वॉरेंटी के साथ आया !