सत्य की डगर
तू मानव है, तू मानव है कोई हँस हँस कर है जीता
इस सत्य को तू ग्रहण कर कोई जीता है रो- रोकर,
दुविधा से न डर, मुश्किल से तू लड़, ये दुनिया है एक उलझन है
अपनी मंजिल को जीत ले तू, कहीं धोखा, कहीं ठोकर।
अपने अरमानो के बल पर। गलती है रुलाती
तू मानव है, तू मानव है... दिखाती राह भी अक्सर,
बशर बस झूठ का पुतला,
सत्य का पग है, धर्म का मार्ग पकड़ तू सत्य की ही डगर।
संभल - संभल कर चलना प्राणी, तू मानव है, तू मानव है...
पग पग पर है यहा कसौटी, इस सत्य को तू ग्रहण कर.
कदम कदम पर है कुर्बानी।
क्या तूने पाया, क्या तूने खोया
क्या तेरा लाभ, क्या है हानि,
इसका हिसाब करेगा वो ईश्वर,
तू क्यू फिकर करे रे प्राणी।
तू मानव है, तू मानव है...
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