ये सब कहने की बातें हैं हम उन को छोड़ बैठे हैं जब आँखें चार होती हैं मुरव्वत आ ही जाती है~ज़हीर देहलवी -
ये सब कहने की बातें हैं हम उन को छोड़ बैठे हैं जब आँखें चार होती हैं मुरव्वत आ ही जाती है~ज़हीर देहलवी
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आना कि नहीं आना मर्ज़ी है सनम तेरीहमको तेरी राहों में पलकों को बिछाना है -
आना कि नहीं आना मर्ज़ी है सनम तेरीहमको तेरी राहों में पलकों को बिछाना है
क़ाइम रखा क़फ़स मेंभी परवाज़ का जुनून अपने परों को हमने कतरने नहीं दिया -
क़ाइम रखा क़फ़स मेंभी परवाज़ का जुनून अपने परों को हमने कतरने नहीं दिया
छीनी नमी है धूप ने सूखे शजर से भीप्यासे को प्यासा रखने का कैसा चलन हुआ -
छीनी नमी है धूप ने सूखे शजर से भीप्यासे को प्यासा रखने का कैसा चलन हुआ
बाँहों में गुल-बदन मेरी शोला बदन हुआकुछ इस तरह से मुझसे वो कल हम-सुख़न हुआ -
बाँहों में गुल-बदन मेरी शोला बदन हुआकुछ इस तरह से मुझसे वो कल हम-सुख़न हुआ
रोकना था उन्हें हर हाल में जाने से 'अमित'सो भरा बाँहों में उनको न फिर आज़ाद किया -
रोकना था उन्हें हर हाल में जाने से 'अमित'सो भरा बाँहों में उनको न फिर आज़ाद किया
Even in the most perfect love, one person loves less profoundly than the other. -
Even in the most perfect love, one person loves less profoundly than the other.
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आना कि नहीं आना मर्ज़ी है सनम तेरीहमने तिरी राहों में आँखों को बिछाना है -
आना कि नहीं आना मर्ज़ी है सनम तेरीहमने तिरी राहों में आँखों को बिछाना है