Er Utsal Chaudhary  
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Joined 26 January 2018


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Joined 26 January 2018
3 JAN 2022 AT 23:38

शर्द मौसम के ये नजारे, मैं जीता था तेरे सहारे,
तू दरिया के उस किनारे, मैं दरिया के इस किनारे।
मोहब्बत का ये कशमकश जो वो न समझी,
चलती रही कभी इसके सहारे कभी उसके सहारे।।

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4 NOV 2021 AT 22:53

तस्वीर तेरा मैं कहाँ छुपा लूं
तुझे मैं अपनी बाहों में लिटा लूं
ये मोहब्बत जीने नहीं देती मुझे
कैसे मैं तुझे अपने पास बुला लूं
परछाई है तू मेरी, मन करता है
बस तुझे मैं अपने सीने में दबा लूं।

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28 OCT 2021 AT 17:31

मेरी याद ने मुझको बहुत कुछ सिखा दिया है।
चलो ना चलो कुदरत ने बहुत कुछ दिया है।।
मैं उस बेहतरी के इंतजार में कभी नहीं रहता
क्योंकि मेरी मेहनत ने मुझे जीना सिखा दिया है।।

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27 OCT 2021 AT 14:04

मेरी बेफिक्री कहाँ है तू
बरसो तेरा इंतजार किया हूँ
आ जा मेरे आशियाने में
अर्सो से तेरा दीदार ना किया हूँ।
सहर दर सहर समय बीत गया
कितनों से तेरा जिक्र किया हूँ
आ जा तो सबको दिखा दूं
कि मोहब्बत मैं बेतहासा किया हूँ।।

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13 OCT 2021 AT 22:42

जीना भी तो किसके लिए जीना
मरना तो किसके लिए मरना
न सफर का पता न मंजिल का पता
चलना भी तो किसके लिए चलना
ये मेरी मोहब्बत कहाँ है तू
आ तो सही
फिर तेरे लिए जीना और तेरे लिए मरना


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6 JUL 2021 AT 12:34

आज फिर से मन रूठा है,
अपना कहने वाला हर कोई झूठा है।
मुकाम सिर्फ अपनी मेहनत से मिलता है,
भरोसा करने पर हर बार दिल टूटा है।।

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15 JUN 2021 AT 0:15

हाँ हम इतने खूबसूरत तो नहीं हैं , लेकिन हाँ जिसे आंख भर के देख लें उसे उलझन में डाल देते हैं।

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13 JUN 2021 AT 14:08

कर्म का क्या है, वो तो समय के साथ बदलता रहता है,
जिंदगी जीने का तरीका ही वक्त बदल सकता है।।

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13 JUN 2021 AT 13:54

चलते चलते यूँ ही रुक जाता हूँ ,
बेवफा करने वालों को भूल जाता हूँ ।
जो प्यार के दो शब्द बोल दे मुझसे,
उसके लिए मर जाने को तैयार हो जाता हूँ।।
चलते चलते यूँ ही रुक जाता हूँ ।
बड़ी बेबाक है ये दुनिया साहब।
जीने वाले के लिए जी जाता हूँ।।
चलते चलते यूँ ही रुक जाता हूँ।।।

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11 JUN 2021 AT 0:04

अभी तो सफर शुरू हुआ है,
मंजिल थोड़ी दूर है।
अभी तो उड़ना बाकी है,
बस अब यही मेरा फितूर है।।

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