ऐसे ही एक नारी का जन्म हुआ
चली नारी को इंसाफ देने
गिरते संवरते चली अंगारों पे,
और गई अपना अस्तित्व बना के
फिर एक नया इतिहास रचा के....
थी वो सावित्री जिस ने फातिमा,
झांसी जैसी को लड़ना सीखाया...
जिसके अंनगीनत रूप हैं....
माँ, पत्नी, बेटी, बहू, दादी, सांस तो कभी माँ दुर्गा, तो कभी माँ काली, तो कभी लक्ष्मी, तो कभी सरस्वती, कभी कठोर, तो कभी दयालु....
हर रिश्ता दिल से दिलकश निभाती
सबकी पसंद का खयाल रखती
खुद को संभालते, संवारते चलती हैं वो दुसरों से कंधा मिला के...
रखती हैं हिम्मत हर मुश्किल पार करने की,
रखती हैं साहस हर चुनौती प्राप्त करने की,
तुटकर भी बिखरी नहीं, खुद के लिए फिर खडी होकर दिखलातीं है....
हैं वो नारी जो गिरकर फिर संवरती हैं...
#proudtobewomen….
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