एक औरत ने मुझे सिखाया,
सही मायने में, औरत होना ।
कहती है, औरत कमजोर नहीं है
अंदर से बेख़ौफ़ बड़ी है
सहती औरत सहने जितना,
आंखें नीची, आवाज धीमी
रहती है, बस रहने जितना।
एक औरत ने मुझे सिखाया,
सही मायने में, औरत होना ।
गलत को ना वो, अपनाती है
सही पे फिर वो, अड जाती है
कितनों की आवाज बनी है
औरत, औरत का मान बनी है।
एक औरत ने मुझे सिखाया,
सही मायने में, औरत होना ।
सालों से बंजर रहते-रहते
खुद की ही, बाग़बान बनी है
ख्वाबों को फिर, बुनते-बुनते
औरत इक पहचान बनी है।
एक औरत ने मुझे सिखाया,
सही मायने में, औरत होना ।
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