उसका नाम था रॉकी
भूखा और बेज़ुबान
एक घर मे गया मांगने को रोटी
मासूम सी शकल उम्मीद थी छोटी
था वो बेसहारा
एक ज़ालिम ने उसे
डंडे और पत्थरों से था
बड़ी बेरहमी से मारा
सड़क पे बहने लगी थी
खून की धारा
आखरी साँसे गिनता रॉकी
दर्द से था करहारा
जाकर खुदा से पूछेगा सवाल
क्यों इंसानों ने कर रखा है
हम जानवरो का बुरा हाल
आखिर मे बस इतना ही कहूंगी
की इस जनम मे अगर तुमने
बंद ना करा जानवरो को सताना
तो अगले जनम मे मेरे मालिक
उस सताने वाले को जानवर ही बनाना।
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