____❤️जनक❤️____
नहीं चल रही स्याही मेरी, उन पर संभव नहीं लिखना
अतुलनीय चरित्र है, दूभर अशुध्दता उनकी दिखना
प्रणय से पूर्ण उरस्थल, अहिंसात्मक का दिल में दरिया
अवर्णनीय है दर्जा आपका, प्रभूत, प्रचुर, अपार आपसे सीखना
हंसी आनन में आपका, चारों ओर तृप्ति बिखेर देता
महफ़िल की फब्तियांँ कष्टकार, आमोद आपका सहारा बना लेता
था मैं कोरा कागज़, समसि आपने पकड़ाया
शाबाशी जीतने मैंने उच्चके पाई, एतबार आपका कच मुझे देता
गिल्ली मृदा का ढेर था मैं, आपने आकार दिया
रिश्ता यह पवित्रता से पूर्ण, फरिश्ता बन सजाए मेरी दुनिया
निर्माण ग्रंथ गर हो जाए, किंचित होगा हर लफ़्ज़
समेट सब कुछ व्योम सा फैले आप, हँसी आपका मंज़र मैंने बना दिया।
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