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Joined 26 May 2020


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Joined 26 May 2020

*कुछ महसूस न करने पर मैं निम्नलिखित महसूस करता हूँ*)-


*शैली - लेख*
हमारा मन का सोचना

बहती हवा मनमोहक, लगता बह रहा ज़हर सा
एक बूंद भी टपके आंसू तो लगें समन्दर के लहर सा
इज़हार कर पहुंचाना चाहता हूँ ठंडक दिल को
देहात के उद्यान में बैठा फिर भी लग रहा शहर सा

प्रपंच से पूर्ण दुनिया में लगता हूँ मैं भी दगाबाज़
संग ईमानदार के हो रहा अत्याचार, बिगड़ गया है समाज
प्रतिदिन गरीब रो रहें, हंस रहें अमीर
शांतिमय हैं पुरा वातावरण पर सुनाई दे रहा भयानक आवाज़

चीखें मजदूरों की उत्पीड़ित कर रही, पुछ रही सवाल
बाल श्रम निरंतर बढ़ रहा, कब होगा यह घटवाल
बारिश यह मोहब्बत फ़ैला रही, नफ़रत मुझे लग रहा
रोज़मर्रा की ज़िंदगी में प्राप्त होगा इज्जत कब, होंगे हम कब प्रमुख मिसाल

हर पल बन गया साधारण, न है कुछ मखसूस
गरल का अर्जन होता सहज, कठिन होता पाना पीयूष
चमक थोड़ी दे दो , अंधेरी है पुरी दुनिया
जब बंद करता आंख होता विचित्र महसूस।

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*☁️बादल☁️*


वृष्टि यह उल्लास भरा अम्बुद संग ले आया
प्रकाशपूर्ण इन्द्रवज्र कर ख़ौफ़ ज़दा, हमे उसने बहुत सताया
तीरगी बादल फैल गया, जुस्तजू करो नूर की
लहज़ा यह मनोहारी है, ख़ामोश घन कुछ और बताया

अकथ्य अज़्मत नीरद का, हर्षपूर्ण तो कभी रोता
मुस्क़र रंग उसका होता नहीं, कभी काला तो कभी सफ़ेद होता
हर फबती सुनकर लोगों की, मोहब्बत बरसाता निरंतर
बिखेरता अपना सुंदरता चारों ओर, मौजूद तो कब गुमराह होता

बिखेरकर मोहब्बत चारों ओर व्यथा, नफ़रत संपूर्ण मिटा दिया
उश्शकों का राज है अब, दर्जा अपना बादल बता दिया
शुगफ़्ता पुष्पों को बनाया , खिंचकर तंद्रालस लालसा
बिगड़े माहोलियात को पूर्णतः मनमोहक बुंदों से सजा लिया।

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____❤️जनक❤️____


नहीं चल रही स्याही मेरी, उन पर संभव नहीं लिखना
अतुलनीय चरित्र है, दूभर अशुध्दता उनकी दिखना
प्रणय से पूर्ण उरस्थल, अहिंसात्मक का दिल में दरिया
अवर्णनीय है दर्जा आपका, प्रभूत, प्रचुर, अपार आपसे सीखना

हंसी आनन में आपका, चारों ओर तृप्ति बिखेर देता
महफ़िल की फब्तियांँ कष्टकार, आमोद आपका सहारा बना लेता
था मैं कोरा कागज़, समसि आपने पकड़ाया
शाबाशी जीतने मैंने उच्चके पाई, एतबार आपका कच मुझे देता

गिल्ली मृदा का ढेर था मैं, आपने आकार दिया
रिश्ता यह पवित्रता से पूर्ण, फरिश्ता बन सजाए मेरी दुनिया
निर्माण ग्रंथ गर हो जाए, किंचित होगा हर लफ़्ज़
समेट सब कुछ व्योम सा फैले आप, हँसी आपका मंज़र मैंने बना दिया।

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कब‌ वह रोती है अकड़ती है फिर मेरे बाहों में सोती है,
आंखें मेरी बंद है पर मेरी हर निगाहों में होती है,
बहुत सुनाया है फब्तियाँ उसे बनाकर उसे उदास,
मेरे हर एक मुश्किलों में संग बैठे वह रोती है ।


लफ्ज़ देखो कम पड़ रहे अब और लिखा नहीं जाता है,
दीदी तुम सही कैसे सब? समझ मुझे कुछ नहीं आता है,
मनोरंजन पूर्ण आज बनाऊंगा यह दिन मेरे हाथ में है,
जिंदगी तुम्हारी आमोद पूर्ण हो मेरी हर दुआ तुम तक जाता है।


🎉🎉🎉 जन्मदिन मुबारक 🎉🎉🎉



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बात यह दिल की दिल ही जाने
आशिक है हम कैसे न पहचाने?

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लड़की हूं मैं, कुछ डरती हूं, पर खुद पर फक्र करती हूं
मत मानो मुझे मुर्दा लांस, शेरनी हूं मैं,
हर चीज में खुद का जिक्र करती हूं

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लिखकर आया हूं दिल के लिफाफों पर तेरा नाम
हर पल साथ रहना तेरे, यहीं मेरा आखरी काम

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दिल दिया है, देना बाकि है जान
अब बोलो, कब होगा हमारा प्यार भरा मकान

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कुछ बोलूं, कुछ देखूं, सुन ले मेरी जज़्बात
दिल दिवाना हो चुका सनम, जागता रहता हर रात

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