DS MISHRA   (#DS MISHRA)
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Joined 23 September 2019


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7 FEB 2022 AT 9:19

इन गुलाबो से कहीं गढ़ा है मेरा लहू...
जो तेरी मोहब्बत में हम अपना ही क़त्ल कर बैठे..— % &

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21 JAN 2022 AT 22:26

हे चंद्र तुझे दीप दिखलाकर
तब मैं कुछ खाऊँगी...
बेटो की मेरी भली बनी रहे
यहीं शपथ मैं तुझे खिलाऊंगी..

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21 JAN 2022 AT 10:11

बहुत हुआ रण उनसे...
अब मनोबल से लड़ा जाएगा
बीन बोले सब उत्तर उन्हें भी मिलजायेगा
खामोशी का बाण जब उनके मन को भेद जाएगा
फिर उन्हें पछतावा मेरा ही आयेगा...

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21 JAN 2022 AT 7:34

उनसे कह दो ...
अब तक तुम्हारी नादानी हमे बहुत भाती थी
दिल में चुभें कांटे भी हमे खुशियां दे जाती थी
ये गलतियां हर वक़्त किसको कितना भाती है
तुम हमे छोड़ कर जब गैरो से बतियाती हो...

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20 JAN 2022 AT 21:06

दूसरों को समझना आसान है
लेकिन जब अपने ही मन को दुःख दे
उन्हें कुछ बताना भी बदनाम है

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14 JAN 2022 AT 13:10

अक्सर जिंदगी के कुछ खास लोग
हमें आवारा समझ बैठे....
क्या पता था उन्हें उनकी ही
मोहब्बत में हम आवारा बन बैठे..

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1 MAY 2021 AT 9:14

तुम्हारे कानों की बाली मुझे इतना भाती है
जितना तुम्हारे ओठो लाली लिपस्टिक से चमक जाती है
खुदा ने रुखसार को कैसे फ़ुरसत से बनाया होगा
उसकी आँखे की नज़र, बालों को खुद सवारा होगा
आयते भी कम पड़ जाती है उसकी खुबसूरती बताने में
खुदा भी सोच रहा है....
मैंने क्या नाचीज़ बना दिया इस सूखे जमाने मे...

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26 APR 2021 AT 3:21

कल ही अपनी डायरी से तुम्हारे खत पढ़े थे
जिसको तुमने अपने आँशुओँ से क्या रंगे गढ़े थे
स्याही को जब तेरा काज़ल धूमिल कर दिया था
उस काज़ल को देख कर आज भी क्या दंग पड़े थे

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26 APR 2021 AT 3:06

पूरा समय गुज़र जाता है तुम्हे निहारते...
आँखों से पानी भी निकल जाता है तुम्हे निहारते
कल ही गोल वाला चश्मा मंगवाये है तुम्हारे लिए
चेहरे पर लगाते ही सब लगे हमे निहारने....

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26 APR 2021 AT 0:51

ये जो कस्तियाँ शाहिलो में खड़ी है
इनसे कह दो... हमे तुम्हारी जरूरत नहीं
मेरे हौसलों के बाजूओं में इतना दम भरा है
तूफ़ानो को भी डर लगता है मुझसे टकराने में...

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