Dr. Zaheen Khan   (Dr. Zaheen Khan)
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Joined 30 October 2019


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Joined 30 October 2019
21 APR 2023 AT 20:22

घर के छत से ही दिखते हैं ईद के चांद।
परदेस में तो बस आंखें नम होती हैं।

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15 AUG 2022 AT 18:20

ये कलम मेरी मुझसे कहती,
कुछ अपने देश के नाम लिखूं।
जो बात करूं हिम्मत-साहस की,
सरहद पे लड़ा जवान लिखूं।
गर पालनकर्ता का ज़िक्र हुआ तो,
खेतों में खड़ा किसान लिखूं।
जो पूछो होता त्याग है क्या,
भगत सिंह का मैं बलिदान लिखूं।
पुरखों ने खून से लिखी है आज़ादी,
आज़ादी को संविधान लिखूं।
मेरी जान देश मेरी शान तिरंगा,
मैं वंदे-नमन-सलाम लिखूं।
है गर्व मुझे अपने भारत पर,
ये बातें सीना तान लिखूं।
कोई पूछे मेरी पहचान है क्या,
एक लफ्ज़ मैं हिंदुस्तान लिखूं।

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9 MAY 2022 AT 14:55

कोइ फरिश्ता पहुंचा दे,
इक चिट्ठी मां के नाम लिखा।
जन्नत में तो तुम खैर से होगी,
शुरुआत में बस सलाम लिखा।
बिन तेरे दुनिया सूनी है,
मैने दर्द अपना तमाम लिखा।
बहती आंखें बस तुम्हे पुकारे,
ये बातें दिल को थाम लिखा।
था वक्त ए वफात मैं पास नही था,
मैने खुद को नाकाम लिखा।
वापस आजा और पोंछ दे आंसू,
बस इतना सा पैग़ाम लिखा।
कोइ फरिश्ता पहुंचा दे,
एक चिट्ठी मां के नाम लिखा।

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8 NOV 2021 AT 18:58

कभी जमाने के मजाक कभी घर वालों के तानों में मिला करता है।
खुशियों का वो नवाब गम के मकानों में मिला करता है।
वो लड़का जो कभी कलम, किताब, इत्र वगैरा खरीदने जाया करता था,
शहर से दूर आज कल शराब के ठिकानों पर मिला करता है।।

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5 OCT 2021 AT 20:00

चमकते इश्क के सितारे गम के अंधेरे में ढल गए।
कल तक उठता था उसके साथ, अब वो सवेरे बदल गए।
और क्या पूछा तुमने यारों खामोश क्यों था बैठा,,,
कल चूमा उसने रकीब को, और होंठ मेरे जल गए।

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18 SEP 2021 AT 19:44

जहन में आज यादों की इक किताब गुजरी।
इश्क वाले पन्नों पर जिंदगी बड़ी खराब गुजरी।
कि उन दिनों मुझे थी सिर्फ तेरे होठों की तलब।
जाने क्यों आज मेरे लबों से ये शराब गुजरी।

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31 AUG 2021 AT 21:06

सुना है, वो अपने हुस्न से इश्क पर काबू रखती है।
निगाहें जाल हैं उसकी, कैद करने का जादू रखती है।
बड़े अच्छे से तौलती है मोहब्बत को सिक्कों से वो।
कमबख्त दिल की जगह दिल नहीं तराजू रखती है।

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21 JUN 2021 AT 19:14

जला कर वबा की आग, रुसवा ऐ हकीम करके।
बुझा कर ममता का चिराग, ये गुनाह ऐ अजीम करके।
हश्र के रोज खुदा से तेरी शिकायत करूंगा ऐ मौत।
आखिर मिलता है क्या तुझे बच्चों को यतीम करके।

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15 APR 2021 AT 16:43

तुम्हारे भूख, प्यास और सब्र का इम्तेहान आया है।
मुबारक हो मोमिनों रहमत बनकर रमजान आया है।

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28 MAR 2021 AT 18:46

तुम अपने हुस्न से इश्क का शिकार करते हो।
हर आशिक पर एक ही सितम बार-बार करते हो।
खैर, कोई अच्छी कीमत दे तो हमें भी बताना,
सुना है तुम मोहब्बत का व्यापार करते हो।

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