Dr. Taraa Nigam✨  
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7Nov.🎂
Joined 28 June 2021


7Nov.🎂
Joined 28 June 2021
27 APR AT 11:05

फ़िर आज वही कहानी दोहराई है
फ़िर आज भूली दास्ताँ याद आई है
फ़िर हो गए आज कुछ ज़ख्म हरे
और हर ज़ख्म की अब भी वही गहराई है

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31 MAR AT 10:39

मेरी एक रचना
National Pediatric
मैगज़ीन में 🙏🙏

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27 MAR AT 13:28

करते रहे गुफ़्तगु, ख़ुद से ही ताउम्र
थी ख्वाहिशें ख़ुश रहने की, रहे मुन्तज़िर ताउम्र
ख़ुद में भी तलाशा, की कोशिशें हज़ार,
ख़ुद के साथ बिताया वक़्त, रहे तन्हा ताउम्र

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4 MAR AT 20:02

दिन रात तू मुझे, मेरे साथ चाहिए
हर बात में मेरे, शुमार चाहिए
चाहत से भरपूर, एक जहां चाहिए
ज़िंदा हूँ पर जीने का एहसास चाहिए
है गुज़ारिश यही, है इल्तिज़ा यही
ख़ुश रहने की तू ही वजह चाहिए

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14 FEB AT 16:37

धड़कने बेकाबू हैं, आज भी बेतहाशा
तुझसे मुझको प्यार है, आज भी बेतहाशा
क्या इलाज करूँ अपनी इस बीमारी का
तेरा ही ख़ुमार है, हर पल बेतहाशा

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10 FEB AT 22:07

Don't expect.
Expectation leads to
Depression only.

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10 FEB AT 16:37

रह रह तुम याद आने लगे,
हर पल ज़हन में समाने लगे
रहते हैं हर पल वाबस्ता तुम्हीं से,
हर ज़ख्म तुम्हें ही दिखाने लगे

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9 FEB AT 1:36

भर दो मुझको प्यार से पहले, फ़िर घूँट घूँट तुम पी लेना
कर दो मुझ पे जाँ निसार, फ़िर जाँ तुम मेरी ले लेना
खाली हूँ, ख़यालों में हूँ, प्यार भी है ख़यालों में
सच तुम इसको करदो पहले, फ़िर प्यार तुम मेरा पा लेना

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2 FEB AT 1:35

तू मुझको, बस मुझसा लगता है
मेरा हमदर्द, मेरा सुकून सा लगता है
वाकिये तो कई हैं ज़हन में मेरे
तू बस मुझको मेरा काफ़िया सा लगता है

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25 JAN AT 22:39

अपने गहरे जज़्बात बताओ छुपाऊँ कैसे, सुर्ख पड़ी यादों को अब मिटाऊँ कैसे
कि इंतज़ार की घड़ियाँ ख़त्म नहीं होतीं, तेरे बिन ज़िंदगी बताओ बिताऊँ कैसे

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