Dr. Swastik Joshi.   (Dr. Swastik Joshi.)
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Joined 19 January 2019


Joined 19 January 2019
6 APR 2020 AT 20:06

आंखें चढ़ाकर वो बोल पड़े
कुछ नही बिगड़ सकते तुम मेरा ।
एक लड़की हूँ मैं
सब मेरी सुनेंगे ।

तेरी हस्ती मिटा सकता हूँ मैं,
पर मेरे यहाँ मोहब्बत में जंग का रिवाज नहीं ।

हाँ तेरी सब सुनेंगे और मुझे गलत बताएंगे,
पर ये दोनों जानते है,
अपनी मोहब्बत को साबित करने के लिए
मैंने खुद को गलत बना दिया ।

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30 MAR 2020 AT 10:34

बात बस इतनी सी थी कि,
उसे नही
मुझे उससे मोहब्बत हो गयी थी ।

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26 MAR 2020 AT 14:04

ये ही तो दिक्कत है की पुरानी बात होती है ।
उस ज़ख्म पर जो पतली सी झिल्ली चढ़ी है,
उसे फिर कुरेदने की रंजिश कर फरियाद होती है ।

एक हम है जो मोहब्बति लाश को सीने से लगाये बैठे है ।
एक वो बेगैरत जो अपनी मोहब्बत को लेकर चलता कर इतराये बैठे है ।

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22 FEB 2020 AT 10:10

उससे न कर जुनूनीयत की बात,
जिसने मोहब्बत कर दुनिया को दिखाई ।

कर बात उससे, जिसने अकेले होकर भी,
उसे आखिरी दम तक निभाई ।

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5 FEB 2020 AT 22:58

जो वफ़ा थी मुहब्बत में वो कैसे भुलाऊं ,
जो साथ छोड़ गया उसे मनाऊ ?
या जितना भी मुख़्तसर है, उसे बचाऊ ?
इस कशमकश भरी जिंदगी में ,
क्यों न पहले खुद की एक अलग पहचान बनाऊ ।

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21 JAN 2020 AT 22:54

एक बार वो पूछ बैठे,
तेरी औकात क्या है मेरे सामने।

मैं भी बोल पड़ा
जाकर देख अपने घर का दरवाजा

मैं, मैं ही तो शुभारम्भ हूँ,
हर नई शुरुआत का ......

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16 JAN 2020 AT 16:20

ये दिल की नही,
कर्ज़ की बात है जनाब ।

आज हमारा टूटा है ।

क्या पता अनजाने में,
हमने भी किसी का कभी तोड़ा हो ।

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14 JAN 2020 AT 11:47

वो तुम्हारा ज़माना था, राम
जब सीता ने दूर रहकर भी तुमसे प्रेम निभाया ।

वो तुम्हारा दौर था, कृष्ण
जब तुम राधा के नाम से पहचाने जाते थे ।

मैंने तो आजकल सारे रिश्तों को
टूटता हुआ ही पाया है ।

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12 DEC 2019 AT 23:05

बस आंख भर कर देखना चाहता था उसे,
पर उसने तो
पलटना तक गवारा ना समझा ।

खड़ा हूँ उस मोड़ पर अभी भी
जहां से वो
रिक्शे में बैठ कर जाया करती थी ।

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10 DEC 2019 AT 9:23

हाथ से खा रहा है,
शुक्र कर खुदा ने तुझे ये रहमत बक्शी है ।

जिनके हाथ नही होते,
मैने उन फरिश्तों को भी ज़िन्दगी से लड़ते देखा है ।

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