शिकायत नही,ना कोई शिकवा था।
बस एक बार फिर से,कुछ कहना था
जानते तो तुम भी हो,
की बाहों मै,कुछ देर और रहना था।
तुमसे ज्यादा कुछ चाहती नहीं हूं,
बस तेरे सपनो में खुद को पाना था,
थोड़ा हक जताना था,
आंखें बंद कर तुझमें समाना था,
तुमसे कहती,तो थी की,
तेरी मासूम सी हसी मै सुकून मुझे पाना था।
पहला तो नही पर इस बार का इश्क
थोड़ा ज्यादा आशिकाना था।
तू चाहतों से अलग,पर मेरी चाहत बन गया था।
मुझे इसी 'पागल' के संग जीना है,
बस यही फिर से कहना था।
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