जिस राह पर निकले हो तुम, न होगी वो आसान कभी
जो हौसला हो मन में तेरे, होगी मुश्किल फिर पार सभी
कहते हैं जिसे सिद्दत्त से चाहो, वो आखिर मिल ही जाती है
पर बिन संघर्ष और संयम के कहां सफलता हाथ आती है
इक मंज़िल को पाकर जीवन एक नई राह को जाती है
जो नई चुनौती, नए अनुभव, नई सिख सिखलाती है
जहां तेरी कोशिश, तेरी मेहनत, तेरी लगन,
तेरा रास्ता तय करती है
और तेरे कर्म, तेरे धर्म, तेरी नियत,
तेरे मंजिल को दिशा देती है
बांध के हिम्मत तू बढ़ता चल उस डगर पर, ऐ बंदे
इक दिन संघर्ष तेरा तुझे लक्ष्य तक जरूर पहुंचाएगी
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