Dr. Nidhi Rani   (Dr. Nidhi Rani)
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Meri awaaz hi pehchan h meri..
Joined 7 December 2019


Meri awaaz hi pehchan h meri..
Joined 7 December 2019
8 JUN 2023 AT 18:26

कहते थे यारी रहेगी साथ हमारी
चाहे रहे कहीं भी, जिंदगानी रहेगी साथ हमारी
पर अब सब कुछ तो है, बस वक्त नहीं
तेरी यादें हैं पर साथ नहीं
जज़्बात तो हैं अल्फाज़ नहीं
संग साथियों का एहसास नहीं
पर यूं न समझना की भूल गई
अपने यारों को छोड़ गई
बस वक्त अभी कुछ सख्त है हमारी
पर याराना है साथ हमारी
फिर से वो मौसम आएगा
जब यारों का रुत लायेगा
फिर ठहाकों की बरसात होगी
और तानों बानो से भरी रात होगी
पता नहीं बस इस भागती दुनिया में
कब हमारी ये मुलाकात होगी
पर चाहे जो भी हो, यारों
अपनी दोस्ती सदा आबाद होगी...

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20 MAY 2023 AT 21:32

फुंक फुंककर, सोच समझकर,
नापतौल कर चलती रहीं तू
कठिन डगर हो या पग पथरीले
रख हौसला बस बढ़ती रहीं तू
फ़िर क्यूँ भटक रहीं यें राहें तेरी
तालाश रहीं क्या आँखें तेरी
अडिग रहकर चलना सीखा तुमने
फिर क्यूँ माया मोह में फंसती जा रहीं
क्यूँ बेअर्थ प्रश्नों में उलझ रहीं तू
हटा धुन्ध का पर्दा ये तू,
समझ ख़ुदा के इस कर्म को
सखी के लिए हर युग में आए,
खड़े हैं तेरे आज भी साथ वो
तोड़ ज़ंजीर तू मायाजाल की,
बढ़ते चल चाहें जो राह हो
इक दिन मिलेगी सुकून भी तुझको
और ज़वाब तेरी पहेलियों को
बस इंतजार में संयम रखना,
अपने दिल को थामे रखना
परीक्षा है ये भी तुम्हारी,
धर्म यहाँ सिर्फ़ कर्म तुम्हारी..
धर्म यहाँ सिर्फ़ कर्म तुम्हारी.....

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14 JAN 2023 AT 1:25

तस्वीरों में कैद हैं यादें कुछ पुराने से
कुछ यादें तस्वीर सी बन बैठी है मन में कहीं
कुछ लम्हें यूं ही आ जाते हैं जहन में
कुछ एहसास बांध लेती है चाहे रहूं मैं कहीं
हां फुर्सत नहीं की बातें होंगी यूं फिर से कभी
पर वो तस्वीरों की झलक भूल न पाऊंगी मैं कभी...

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1 JAN 2023 AT 10:26

अकेले निकली थी मंज़िल की तलाश में
लोग मिलते गये और कारवां बनता गया
निकली थी घर से इक बेहतर कल की आश में
सबक ज़िंदगी देती गयी औऱ सफर अनोखा होता गया

जब निकली थी घर से-
कुछ उलझने थी मन में, कुछ हिचक भी थी
सवालों में घिरी इक अनसुलझी पहेली सी थी
संग में बस इक कोशिश थी, इक आस थी
इस सफर में मिली
चुनौतियाँ हर पग पर थे, बाधाएं भी कुछ कम न थे
हार रही थी ख़ुद से जब, ऐसे भी कुछ पल यहाँ थे
चेहरे की इस मुस्कान को बनाए रख सकू
हौसले कभी कुछ कम से भी थे
रुकी भी थी, संभली भी थी
सवाल सैकड़ों खुदी से करती भी थी

यूं तो ये रास्ते अकेले ही तय करने थे
पर कुछ खास ऐसे मिलते गये
और सफर ना जाने कब आसान हो गया
वो खास जो थे कुछ अनजाने से, और कुछ जाने-पहचाने से
हमराही बन साथ जो, सफर ये यादगार करते गये
एक अर्से से थी इक सुकून का इंतजार
ये हवाएं, ये मौसम और वो चांदनी रात की ठंडक
सब मिल दुआएँ देती गयी, और मंजिल की ओर हम बढ़ते गये

अंत मे जो चाह थी वो मिल ही गयी
पर इस सफर ने जो सीख दिए,
ज़िंदगी को मेरे नया ढंग सिखाते गये

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20 DEC 2022 AT 0:52

जिस राह पर निकले हो तुम, न होगी वो आसान कभी
जो हौसला हो मन में तेरे, होगी मुश्किल फिर पार सभी
कहते हैं जिसे सिद्दत्त से चाहो, वो आखिर मिल ही जाती है
पर बिन संघर्ष और संयम के कहां सफलता हाथ आती है

इक मंज़िल को पाकर जीवन एक नई राह को जाती है
जो नई चुनौती, नए अनुभव, नई सिख सिखलाती है
जहां तेरी कोशिश, तेरी मेहनत, तेरी लगन,
तेरा रास्ता तय करती है
और तेरे कर्म, तेरे धर्म, तेरी नियत,
तेरे मंजिल को दिशा देती है
बांध के हिम्मत तू बढ़ता चल उस डगर पर, ऐ बंदे
इक दिन संघर्ष तेरा तुझे लक्ष्य तक जरूर पहुंचाएगी

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19 AUG 2022 AT 19:08

जिसके हाथ में सुदर्शन और होठों पे मुस्कान है
जिसकी बंसी की धुन का दीवाना ये संसार है
जिसकी सावंरी सूरत के आगे हर रंग फीका है
जिसकी इक मुस्कान हर समस्या का हल है
जिसके बस में पल भर में महाभारत का अंत है
पर फिर भी प्रेम की धुन से जो जीत लेता हर मन है
हर भटके मन को जो किनारे तक पहुंचाए
वो कान्हा जिसकी हर सांस बस राधा धुन गाए
तेरी लीला तो बस तू ही जाने कान्हा,
कोई प्रेम में दीवाना, कोई दीवाना तेरे प्रेम का कान्हा
जो तू साथ में है तो कैसा भी हो अंधेरा
जो सर पे तेरा हाथ है तो क्यों न होगा सवेरा
तू प्रेम है, तू ज्ञान है, तू धर्म है, तू ही कर्म है
तू साथ है तो विश्वास है
तू मन में है तो ही ये सारा संसार है..
तो ही ये सारा संसार है.....

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21 APR 2022 AT 22:25

इक ख़ामोशी है इन शोर में
यहां ख़ामोशी का ही शोर है
सब कुछ तो दिख रहा पर
फिर धुंधला सा क्यों हर ओर है
एक दर्द है हर दिल में यहां
हर दर्द की अपनी दास्तां है
तरसती आंखें है हर तरफ़ पर
देखो होठों पे मुस्कान हर और है
कुछ कहना है इन्हें शायद
पर अल्फाज़ कुछ कम से हैं
हां मगर दर्द-ए-एहसास जो बयां करे
ख़ामोशी में वो शोर हर ओर है
तू पूछ अपने दिल से और सुन अपने दिल की
इसी शोर में छुपी कहीं तेरे दर्द के मरहम भी हैं
ख़ामोशी से ख़ुद को समझ और देख
यहां तेरे जैसे ही कई, हर और हैं

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23 JAN 2022 AT 22:41

इक आहट सी सुनी, जैसे कोई मिलने आया हो मुझसे
इस वीरान पड़े मन ने सपने सजा ली हो जैसे
कोई पूछने को हाल, कोई कहने को इक ख्याल
इस चार दिवारी में कोई नया चेहरा दिखा हो जैसे

कहने को कमी नहीं है यारों दोस्तों की
पर शायद अभी जरूरत नहीं पड़ी हो मेरी जैसे
बातें हज़ार है कहने सुनने को
पर शायद अभी कोई खास मौका नहीं याद करने को जैसे

नहीं, कहानी नहीं ये मेरे मन की, शायद हो भी
पर सफर - ए - जीवन में पराव है एक ये भी
साथ खुद का सदा थामे रखो इस सफर में, यारों
वरना इक आहट की आस में बैठे रह जाओगे तुम भी...

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16 JAN 2022 AT 14:51

एक आस है, एहसास है
तेरे होने का विश्वास है
तू कल था, तू आज है
तू कल है तो ये संसार है
तू है जो तो प्रकाश है
कण कण में तेरा आभास है
समंदर सा तू, इक बूंद हूं मैं
कुछ लिखूं भला, मेरी क्या औकात है
खड़ी हूं जहां और सर पर है आसमां
कृपा है मालिक तेरी, रहमत है, तू ही तो संसार है
तू कल था, तू आज है
तू कल है तो हर आस है...

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31 OCT 2021 AT 9:23

उलझनों में उलझे तुम
जब निकलोगे सुलझ के
सावरें की छवि स्पष्ट दिखेंगी फिर भीतर मन के
फिर न कोई उलझन ख्याल में तेरे होंगे
क्योंकि सवारने को तुझे खुद सावरे साथ होंगे...

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