Dr Jayanti Pandey   (© jayakikalamse)
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Joined 24 May 2020


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9 MAR AT 23:09

तुम्हारी बेवफ़ाई के ज़हर ने
ज़िंदगी में अजब ज़हर डाला है।
मन हो गया है कड़वा और
खून में मिठास का बोलबाला है॥

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6 MAR AT 16:59

मशीनों को शर्मसार करने वाला है
हर संबंध दिमाग़ से निर्धारित है
उस पर भी स्वार्थ का बड़ा सा ताला है

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13 DEC 2023 AT 21:25

न किसी के आने की ख़ुशी है
न किसी के जाने का ग़म
अजब बेज़ार ज़िंदगी है
और ग़ज़ब बेज़ार हम

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23 NOV 2023 AT 7:42

परछाई पकड़ने की कोशिश में व्यर्थ उम्र गँवाती है
जो सूरज सा दम ख़म रखती है, वो चाँद पाना चाहती है

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22 NOV 2023 AT 11:50

यहाँ रिश्तों के बाज़ार बहुत हैं
बाज़ार में पारखी ख़रीदार बहुत हैं
सस्ते में बिकने को तैयार बहुत हैं
तुम्हें ही सौदा करना नहीं आता

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3 NOV 2023 AT 13:30

मत कहना कि यह उम्मीदों का शहर है
यहाँ हर तरफ़ हवा में फैला हुआ ज़हर है
जो साँस न लें तो भी घुटन जीने नहीं देगी
जो साँस ली तो हवा के ज़हर से मर जाओगे

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10 OCT 2023 AT 21:23

हर दिन एक नया तौर सिखाना चाहती है
ज़िन्दगी जाने कितने सबक पढ़ाना चाहती है
मुस्कुराते चेहरों के पीछे नाउम्मीदी का शोर है
यायावरी शौक नहीं, मंजिल की तलाश है दौड़ है

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2 OCT 2023 AT 16:33

अपने रिश्तों की हक़ीक़त से अनजान नहीं हूं
हर दिन टीसते हुए नासूरों से भी हैरान नहीं हूं
वक़्त के साथ ठहर गए दर्द उभर जाते हैँ जब तब
वरना खुश हूं कि ज़िन्दगी है, सच मानो परेशान नहीं हूं

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29 SEP 2023 AT 10:06

अतीत में जाकर आते है
कुछ बातें दोहराते हैँ
सूखे जंगल से जीवन में
बारिश सी झर झर जाते हैं

रीता सा मन खिल जाये
जो बीत चुका वो मिल जाये
तुम भी आ जाओ न फिर से
कुछ यादें फिर महकाते हैं

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27 SEP 2023 AT 21:03

मन की बाते बोलो जी
कुछ गिरहें तो खोलो जी
वक़्त फिसल रहा हाथों से
अब तो किसी के हो लो जी

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