diwakar singh   (Dk singh)
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I'm not a perfect writter but I'm trying my best queto writing..
Joined 13 May 2020


I'm not a perfect writter but I'm trying my best queto writing..
Joined 13 May 2020
9 JAN 2022 AT 17:37

ऐसा कैसे हो गया, यार मेरा मुझसे, जुदा क्यु हो गया।

जो वादों मे सदियाँ साथ गुजारने की बात करता था,

वो मुझसे खपा क्यु हो गया।।

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25 APR 2021 AT 7:00

कर भी क्या सकते थे हम, बिछड़ कर तुमसे,

जीने की आश तुम्हीं तो हो, ये कहना था तुमसे।

पहले ही रुसवा हो कर चल दिये आप हमसे,

इजहार- ए- मोहब्बत जब हमको करना था तुमसे।।

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22 APR 2021 AT 20:49

सुकून - ए - जिंदगी इस दौर मे कहा।

जिंदा इंसान भी जी रहा है मुर्दों की तरह।।

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19 APR 2021 AT 6:58

जिसे देखो वो इश्क़ का मारा है।
कोई हमारा, तो कोई तुम्हारा है।।
नस ए मन मे गिरती इसकी बिजलियाँ,
इश्क़ की तड़प से कोई ना बच पाया है।।

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8 NOV 2020 AT 22:10

माँ का आंचल 6 दिनों बाद मिला, जी लूँ शाम आज की जी भर।

फिर कब मिले ये आंचल, खबर किसकी है इसको।।

लिपट कर माँ से, नम आँख ये पड़ गई, मैं कब फिर लौटूंगा,
ये खबर कहा उसको।

माँ का आंचल 6 दिनों बाद मिला, जी लूँ शाम आज की जी भर।।

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7 NOV 2020 AT 16:56

तुम मेरी आरज़ू हो, क्या तुमको नहीं पता ।

मेरे इस इजहार मे, तुमने कुछ नहीं कहा।।

क्या है मुझ से शिकवा, तुमने नहीं कहा।

क्या हमारे बीच मे अब, कुछ भी नहीं रहा।।

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27 AUG 2020 AT 22:39

उम्मीद की किरण

कुछ दूर एक- साथ चले,
और सहारे की उम्मीद हो गई।

इजहार हुआ ही नहीं प्यार का,
और प्रेमिका की रकीबी हो गई।।

सहारे की उम्मीद छूटी,
और गुमनामी सी हो गई।

प्यार हमारा ही था,
और जहां में सारे बदनामी उसकी हो गई।।

जान गया मै भी अधूरे प्यार के किस्से सारे।

क्यों हीर और रांझा के प्यार की,
दुनिया दीवानी हो गई।।

उम्मीद की वही किरण मुझ में भी जगी,
पर रकीब को मेरे मुझ से मोहब्बत जिस्मानी हो गई।।

ना समझ है वो, नादान है, प्यार से बहुत अनजान है।

कैसे वो मेरी प्रेमिका, रूहानी से जिस्मानी हो गई।।

दिवाकर समझ ना पाया ईश्क अपना,
और सारी दुनिया उससे बेगानी हो गई।

उम्मीद की वही किरण अब,
उसके लिए जग बेईमानी हो गई।।


दिवाकर सिंह राजपूत

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24 AUG 2020 AT 10:18

*संघर्ष*


उड़ान भर इतनी, कि गगन छोटा पड़ जाए।

कर परिश्रम इतना, कि मंजिल खुद- ब- खुद मिल जाए।।

चलता रह राहों में, कि निशान तेरे ही बन जाए।

बाकी निशा ना रहे किसी का, सब मंजिल में तेरी ही जाए।।

देखें तेरी मेहनत, और सब देखते ही रह जाए ।

उड़ान भर इतनी, कि गगन छोटा पड़ जाए।।

राहें अकेले बनाना है मुश्किल।

पर राह ऐसी बना की फिर कदम ना लड़खाए।।

मंजिल है तेरी तो, हैं सब तेरे है इस जहां में।

करना न ऐसी गलती, कि तू गुमनाम हो जाए।।

खुशी तेरी भी हो जिसमें, वो मंजिल तेरी हो जाए।

है दुआ दिवाकर की, कि हर दुआ तेरी कुबूल हो जाए।।

अब तेरी हर आरजू , तेरी ख़ुशी बन जाए।

उड़ान इतनी भर, कि गगन छोटा पड़ जाए।।

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3 AUG 2020 AT 18:29



आंखो में ये रुदन अश्रु क्यू है,
जरा हाल बतलाओ तो।
आंखे तो सब बयां कर रही,
फिर हाल तुम्हीं सुनाओ तो।।
क्या छूटा है इन अंखियों से सब का हाल बताती हैं।
फिर भी हे!प्रिय मित्र हमको कुछ बतलाओ तो।।
धर्य छूट रहा है मन का,
यूं गुमसुम आपके रहने से।
समझ रहा हूं आपके मै हृदय बिरंची की भाषा को,
फिर भी हे! प्रिय मित्र हमको कुछ बतलाओं तो।।

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23 JUL 2020 AT 5:42

दीदार-ए- मोहब्बत में यूं दिल जलाय बैठा है क्यू।
फुरकत में यूं अंशू बहाय बैठा है क्यू।।
प्यार है उनसे तो इजहार कर जाके।
बेबस यूं शबो- सहर में ईश्क उनका सजाए बैठा है क्यू।।

फुरकत- वियोग
शबो- सहर -- रात दिन

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