जो प्रेम है तो कह दो सखी, काहे को उदास हो
किसी के लिए बस हो तुम, किसी की पूरी आस हो
तुमसे ना हो तो मैं कह दूं, मन की भी कोई बात हो
मुंह पे ताला पड़ा है तेरे, कौन मेरी ज़बान हो ?
नैनों का पथ चुना अब मैंने, उसको न अब टार दो
उससे प्रेम है ये कह भी दो, शक्ति को विस्तार दो
कहो की उसका साथ मिले तो, जीवन पूरा वार दो
हाथों में गर हाथ मिले तो, अपनी नज़र उतार लो
मैं कितना कुछ कहता हूं अंदर, सुन मेरी भी बात लो
एक बार तो मान लो मेरी, उसको ये समाचार दो
मैं तो हिस्सा हूं तेरा, पर मुझमें वो समाया है
तू ही न सुने मेरी तो, किसने साथ जताया है
कर लो जो कहता हूं मैं, या मुझसे उसे निकाल दो
कह दो उसे या मार दो मुझको, किसी तो राह पे डाल दो
तुम बोलो ना गाल पे लाली, नैनों को अधिकार दो
ऐसा भी क्या जुर्म किए हूं, सुन लो मेरी पुकार को
जो प्रेम है तो कह दो सखी! काहे को उदास हो
जो भी मर्ज है तेरा-मेरा, मुमकिन है, दवा उसी के पास हो ।।
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